क्या आप जानते है की Internet
काम कैसे करता है...Internet क्या है ? Optical Fibers एक आधार है इंटरनेट का...आज हम internet
का use तो करते ही हैं लेकिन क्या आपको पता है
कि internet क्या है और इन्टरनेट कैसे काम करता है l जैसे आप यहाँ बैठे whatsapp या facebook पर massage send करते है और हजारो किलोमीटर दूर बैठे
आपके relative आपके massage को कुछ ही second
में पड़ लेते हैl ये सब internet का कमाल है जिसने दुनिया को बहुत छोटा बना दिया है l इन्टरनेट क्या है ? What is Internet ? Internet ( international
network of computer ) मतलब दो या दो से अधिक computer का आपस में connection होना l आप
internet कि मदद से दुनिया कि किसी भी जगह कि जानकारी हासिल
कर सकते है l 1969 में जब इंसान ने चाँद पर कदम रखा था तब US
के रक्षा कार्यालय ने advance research project agency यानी ARPA को नियुक्त किया था उस वक्त चार computer
का नेटवर्क बनाया था जिसमे उन्होंने data exchange और share किया था बाद में इसे कई एजेंसी के साथ
जोड़ा गया l धीरे धीरे ये नेटवर्क बढता गया और बाद में ये आम
लोगो के लिए भी open हो गया l इन्टरनेट
कि सबसे अच्छी बात ये है कि इन्टरनेट में किसी भी एजेंसी का control नहीं है l इंडिया में सबसे पहले 15 अगस्त 1995 को सरकारी कंपनी BSNL ने internet का शुरुआत किया था l बाद में धीरे धीरे private service providers जैसे airtel
reliance idea ने internet को start किया था l इन्टरनेट कैसे चलता है ? आप में से कुछ लोग सोच रहे होंगे कि हमारे उपर कोई बादल है जिसके अन्दर internet
के सारे data store रहते है और वही से internet
चलता है l लेकिन हम आपको बता दे कि ऐसा कुछ
नहीं है l पूरा internet हमारे द्वारा
छोड़े गए उपग्रह से भी नहीं चलता l उपग्रह से पहले चलता था
लेकिन ये तकनीक बहुत पुरानीं हो चूकी है और इसमें data भी slow
load होता था l लेकिन हमारे इंजीनियर्स ने एसी
तकनीक खोज निकाली जिसमे हम आज fast internet use कर रहे है
ये तकनीक है Optical Fibers Cable ये बात सच है कि हमने 8
लाख किलोमीटर से भी ज्यादा लम्बाई वाले optical fiber cable को समुद्र में बिछाये है जिसमे हमारे internet का 90%
use होता है l समुद्र में वही optical
fiber cable बिछाये जाते है जिनमे कम नुकसान और कम लागत आती है l
चूकी cable को समुद्र में बिछाया जाता है
जिसमे बड़े बड़े जहाज भी चलते है और कभी कभी जहाज के लंगर से भी optical
fiber cable को नुकसान हो जाता है ऐसा हि कुछ 13 जनवरी 2008 को Egypt में हुआ
था l जिसके कारण Egypt का 70%
internet बंद हो गया था l
Nokia की बर्बाद से आबाद की पुरी कहानी
by
hemantsarkar
- 9:08 PM
आपलोगों में से बहुत से लोगों का पहला मोबाइल Nokia
ही रहा होगा मेरा भी पहला मोबाइल नोकिया ही था और काफी समय तक Nokia
6600 का प्रयोग किये मेरा इस मोबाइल के साथ कई यादें जुड़ी है इसलिए
आज भी यह मोबाइल मेरे पास है....
Nokia 1865 फिनलैंड में स्थापित यह एक मल्टीलेबल
कंपनी जो काफी समय तक वर्ल्ड मार्केट पे छाया रहा अपनी सहायक कंपनियाँ-Nokia,Siemens Networks,Vertu,Navteq,Qt Software...के साथ
कैसे Nokia इतनी
ऊंचाई पे जा कर भी बर्बाद हो गया आए जानते है इसकी पुरी कहानी...इसे पुरा पढ़े...
Nokia ने मोबाइल मार्केट में काफी समय तक
राज किया आपका भी पहला फोन शायद नोकिया का ही रहा होगा Nokia की सक्सेस स्टोरी काफी उतार-चढ़ाव वाली रही है बड़ी इंटरेस्टिंग रही है
2014 के अंतराल में Nokia में 120 देशों से 61000
कर्मचारी थे Nokia का बिजनेस 150 देशों
से ज्यादा देशों में बिछा हुआ था
Nokia कंपनी 150 साल
पहले 1865 मैं स्टार्ट हुई थी Nokia का
नाम लंदन में बहने वाली एक नदी के नाम पर रखा गया. इस कंपनी को तीन व्यक्तियों के
साझेदारी में खोला गया 1865 में उनमें से एक व्यक्ति माइनिंग
इंजीनियर था इसके बाद 1871 में इन तीनो ने मिलकर एक कंपनी की
स्थापना की जिसका नाम था नोकिया. और अगले 98 तक उन्होंने मिल
में काम किया.1922 में नोकिया ने ट्रायो के साथ पार्टनरशिप
करके केबल वर्क तथा रबर वर्क स्टार्ट किया. इसके बाद Nokia रेट
टेलीफोन इलेक्ट्रिक केबल और आर्मी के लिए रबर के जूते तथा Mass भी बनाती थी 1967 में 3 बड़ी
कंपनियों ने मिलकर नई नोकिया कॉरपोरेशन कंपनी की स्थापना की और नई बनी हुई नोकिया
कंपनी टारगेट की गई हुई थी नेटवर्किंग और रेडियो इंडस्ट्री को इसके तहत उन्होंने
नए मिलिट्री सामान बनाए इसके बाद 1981 से 1991 तक Nokia ने मोबाइल रेडियो बनाएं टेलीफोन स्टेटस
बनाएं कैपिसिटर और पर्सनल कंप्यूटर पर भी काम किया 1981
मोवीरा कंपनी ने जो कि Nokia की ही एक कंपनी है उन्होंने
दुनिया का पहला सेल्यूलर नेटवर्क लॉन्च किया जिसका नाम था गोल्डी मोबाइल टेलीफोन
सर्विस. इसके बाद 1987 में इस ने अपना पहला मोबाइल फोन लांच
किया जिसका नाम था मूवीरा सिटी मेट 900 था उसके बाद 1990 में Nokia ने सीमेंस के साथ मिलकर दुनिया का पहला GSM
नेटवर्क लॉन्च किया दुनिया का सबसे पहला कॉल फिलीपींस प्राइम मिनिस्टर
ने Nokia के ही मोबाइल से किया था वह 1991 का साल था. जब फिलीपींस के प्राइम मिनिस्टर ने अपना पहला कॉल नोकिया के
मोबाइल से किया था
इसके साथ नोकिया का मोबाइल इंडस्ट्री में सफर
शुरु हो चुका था
नोकिया का पहला कमर्शियल फोन Nokia
1011 था जो कि 1992 में लांच हुआ इसके बाद 1998 तक दुनिया की सबसे बड़ी इंडस्ट्री मोटोरोला को भी पीछे छोड़ दिया था इसके
बाद सबसे ज्यादा बिकने वाला मोबाइल नोकिया 1100 सन 2003 में लॉन्च किया था डिमांड सन 2003 में अधिक होने के
कारण तथा सभी द्वारा यही फोन खरीदे जाने के कारण उस समय यह मोबाइल लोगों की पहली
पसंद मानी जाती थी या टॉर्च के साथ आता था और रात को भी चलता था
इसके बाद 2003 में
गेमिंग इंडस्ट्री के लिए एक पोर्टेबल गेमिंग मोबाइल लांच किया जिसका नाम था Nokia
एंगेज.
इसके बाद नोकिया का पहला कैमरा फोन Nokia
7650 लॉन्च हुआ 3600 और 3650 भी लॉन्च हुआ यह सबसे पहले नॉर्थ अमेरिका मार्केट में लांच किया गया Nokia
की कैमरा परफॉर्मेंस तो पहले से ही अच्छी रही है
2006 में एड् 93 काफी
एडवांस कैमरे के साथ लॉन्च हुआ इसके बाद इसके बाद 2007 में N8 लॉन्च किया गया था इसके बाद सन 2008 में एड 95 लॉन्च हुआ इसके साथ ही E71 की लॉन्च हुआ और उसी वक़्त यूरोपीयन कंट्रीज में Android आ चुका था और Nokia अपना Siemens OS को ले कर ही मार्केट में अपना वर्चस्व बनाए रखना
चाहता था ....Nokia एक भाड़ी ट्रक बन चुका था और Android छोटी छोटी गाड़ी से बहुत सी मोबाइल कंपनी को ले कर वर्ल्ड मार्केट में आगे
बढ़ रहा था..
इसके बाद मार्केट में सन 2011
के बाद स्क्रीन टच तथा iPhone जैसे मोबाइल आने
लगे जिसकी वजह से Nokia का मार्केट गायब सा होने लगा.
फिर Nokia ने एक
गलती और किया नोकिया ने सन 2011 में माइक्रोसॉफ्ट के साथ
पार्टनरशिप करके उनका सबसे पहला स्मार्टफोन लूमिया 800 लॉन्च
किया इसके बाद नोकिया ने मार्केट में 2013 तक सामान बिक्री
किया मगर फिर भी कंपनी उस लायक नहीं थी कि वह अपने फाइनेंसियल कंडीशन को कम कर सके
जिसकी वजह से Nokia के लिए सप्टेंबर 2013 साल बहुत बुरा साबित हुआ तथा माइक्रोसॉफ्ट ने Nokia को टेकओवर कर लिया तब तक काफी देर हो चुकी थी और मार्केट में Android पूरी तरह आ गया
इसके बाद भी लोग चाहते थे कि Nokia
एक बार फिर से स्मार्टफोन इंडस्ट्री में इंटर करें तथा सन 2017 सितंबर में नोकिया पूरे भारत में लॉन्च हो गया जिसके साथ Nokia स्मार्टफोन इंडस्ट्री में फिर से अपना जादू दिखाएगा.
Nokia तथा सोनी पिक्चर ने मिलकर 360 कैमरा लॉन्च किया तथा मुझे लगता है कि यह आज तक का सबसे महंगा कैमरा हो
सकता है.....
By-Hemant Sarkar
जाने कुछ साइबर क्राइम के बारे में
by
hemantsarkar
- 9:49 AM
आज हमलोग डिजिटल युग में पहुँच गए तो जाने तो
आज जाने कुछ साइबर क्राइम के बारे में..इसे ध्यान से एक बार जरुर पढ़े..
इस साल ग्लोबल साइबर हमला, रैन्समवेयर, साइबर क्राइम की सबसे चर्चित घटना भले
रहा हो लेकिन इकलौता नहीं.
साल 2017 के पहले 6 महीनों में हर 10
मिनट पर एक साइबर क्राइम होने की बात सामने आई है। यह 2016
के आंकड़ों से ज्यादा है जब हर 12 मिनट में एक क्राइम होता
था। इसमें जालसाजी और स्कैनिंग जैसे क्राइम शामिल हैं।
साइबर क्राइम में कौन-कौन आते हैं
ऐसे व्यक्ति जो दूसरों के डाटा की चोरी करते
हो
ऐसे लोग जो अनजान व्यक्ति के खाते से पैसे
चोरी करते हो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जैसी इंटरनेट के जरिए
ब्लू व्हेल गेम जैसे खतरनाक गेम को
संचालित करने वाले
अश्लील वीडियो फोटो ऑडियो को इंटरनेट पर डालने
वाले
पोर्नोग्राफी
देखना भी एक अपराध है
फर्जी मेल करने वाले कॉल करके अकाउंट की जानकारी मांगने वाल
किसी व्यक्ति की गोपनीय जानकारी को इंटरनेट पर
पोस्ट करना भी एक अपराध है
वायरस भेजकर कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान
पहुंचाना फाइल स्कोर करप्ट करना
किसी वेबसाइट को हैक करना भी साइबर क्राइम के अंतर्गत आता है
साइबर क्रिमिनल से बचने के उपाय
हमेशा अपने कंप्यूटर में एंटीवायरस का
इस्तेमाल करे
अपनी ID और पासवर्ड
को कंप्यूटर में सेव ना रखें
ऐसे ईमेल को न खोले जो अनजान व्यक्ति द्वारा
किया गया ho
अपना ATM कार्ड और
पिन कोड किसी को न बताएं
फर्जी फोन कॉल से बचें आजकल फर्जी फोन कॉल पर ATM
की जानकारी मांगी जा रही है इस तरह की कॉल आने पर कभी अपने अकाउंट
की डिटेल ना दें
सोशल साइट का इस्तेमाल करने के बाद अपनी ID लॉगआउट जरूर करें
संदेहपूर्ण तरीकों से व्यक्तिगत जानकारी
मांगने वाले अनचाही ईमेल और लिंक पर ध्यान दें खासतौर पर बैंकों और क्रेडिट
कार्ड कंपनियों के होने का दावा करने वालों
se
सॉफ्टवेयर और ऐप्स को नियमित रूप से अपडेट करते
रहें जिससे मालवीय से उत्पन्न सिक्योरिटी की मौजूदा समस्याएं दूर हो जाती है
अपने वाई-फाई नेटवर्क को हमेशा सुरक्षित रखें
अपना पासवर्ड सावधानी से चुने और पासवर्ड किसी को भी ना बताए नहीं तो कुछ अपराधी
आपके वाईफाई से कुछ अपराधिक एक्टिविटी करेंगे जिससे आपको प्रॉब्लम हो सकती है
किसी को भी आवश्यकता से ज्यादा जानकारी ना दें
खासकर बैंक और क्रेडिट कार्ड जारी करने वालों को क्योंकि इन लोगों को आपका पिन
नंबर और पते के बारे में पहले से ही जानकारी होती है
सही स्रोत जाने बिना किसी अटैचमेंट या लिंक
पर क्लिक ना करें
सार्वजनिक कंप्यूटर से ऑनलाइन बैंकिंग ना करें
अपने निजी डेटा को सुरक्षित रखें…
अब जानते है कुछ साइबर क्राइम के आईपीसी की
धाराएं के बारे में....
साइबर क्राइम के मामलों में आईपीसी की धाराएं
इतनी सख्त हैं कि दोषी को मामूली जुर्माने से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है तो जाने कौन
कौन सी धाराएं लगती है.
*हैकिंगः धाराएं और सजा--- आईटी (संशोधन) एक्ट
2008 की धारा 43 (ए), धारा 66
- आईपीसी की धारा 379 और 406 के तहत अपराध साबित होने पर तीन साल तक की जेल या पांच लाख रुपये तक
जुर्माना हो सकता है.जानकारी या डेटा चोरी-ऐसे मामलों में आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 43 (बी), धारा 66
(ई), 67 (सी), आईपीसी की
धारा 379, 405, 420 और कॉपीराइट कानून के तहत दोष साबित होने
पर अपराध की गंभीरता के हिसाब से तीन साल तक की जेल या दो लाख रुपये तक जुर्माना
हो सकता है.
*वायरस,स्पाईवेयर
फैलाना---इस तरह के केस में आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा
43 (सी), धारा 66, आईपीसी की धारा 268 और देश की सुरक्षा को खतरा
पहुंचाने के लिए फैलाए गए वायरस पर साइबर आतंकवाद से जुड़ी धारा 66 (एफ) भी लगाई जाती है. दोष सिद्ध होने पर साइबर-वॉर और साइबर आतंकवाद से
जुड़े मामलों में उम्र कैद का प्रावधान है. जबकि अन्य मामलों में तीन साल तक की
जेल या जुर्माना हो सकता है.
*पहचान की चोरी---किसी दूसरे शख्स की पहचान से
जुड़े डेटा, गुप्त सूचनाओं वगैरह का इस्तेमाल करना भी
साइबर अपराध है. यदि कोई इंसान दूसरों के क्रेडिट कार्ड नंबर, पासपोर्ट नंबर, आधार नंबर, डिजिटल
आईडी कार्ड, ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शन पासवर्ड, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर वगैरह का इस्तेमाल करके शॉपिंग या धन की निकासी
करता है तो वह इस अपराध में शामिल हो जाता है,ऐसा करने वाले
पर आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43, 66 (सी), आईपीसी की धारा 419 लगाए
जाने का प्रावधान है. जिसमे दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या एक लाख रुपये
तक जुर्माना हो सकता है.
*ई-मेल स्पूफिंग और फ्रॉड---इस तरह के मामलों
में आईटी कानून 2000 की धारा 77 बी, आईटी (संशोधन) कानून 2008
की धारा 66 डी, आईपीसी की धारा 417,
419, 420 और 465 लगाए जाने का प्रावधान है.
दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है.
*पोर्नोग्राफी---इंटरनेट के माध्यम से
अश्लीलता का व्यापार भी खूब फलफूल रहा है. ऐसे में पोर्नोग्राफी एक बड़ा कारोबार
बन गई है. जिसके दायरे में ऐसे फोटो, विडियो,
टेक्स्ट, ऑडियो और सामग्री आती है,इसके तहत आने वाले मामलों में आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 67 (ए), आईपीसी की
धारा 292, 293, 294, 500, 506 और 509
के तहत सजा का प्रावधान है. जुर्म की गंभीरता के लिहाज से पहली गलती पर पांच साल
तक की जेल या दस लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है लेकिन दूसरी बार गलती करने पर
जेल की सजा सात साल तक बढ़ सकती है.
*बच्चों और महिलाओं को तंग करना---आज के दौर
में सोशल नेटवर्किंग साइट्स खूब चलन में हैं. ऐसे में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों, ई-मेल, चैट वगैरह के जरिए बच्चों या महिलाओं को तंग
करने के मामले अक्सर सामने आते हैं,इस तरह के केस में आईटी
(संशोधन) कानून 2009 की धारा 66 (ए) के
तहत सजा का प्रावधान है. दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता
है.
स्रोत-आजतक
जैसा दृष्टिकोण वैसा सँसार
by
hemantsarkar
- 7:23 AM
ये कहानी उस वक़्त की है जब पाण्डवों और कौरवों
को आचार्य द्रोण के पास शिक्षा ले रहे थे आज कल जिसे टेस्ट कहते है वह वस वक़्त भी
हुआ करता था फिर एक दिन आचार्य द्रोण ने उनकी
परीक्षा लेने की बात उभर आई...परीक्षा कैसे और किन विषयों में ली जाए इस पर विचार
करते उन्हें एक बात सूझी कि क्यों न इनकी वैचारिक प्रगति और व्यावहारिकता की
परीक्षा ली जाए..
दूसरे दिन प्रातः आचार्य ने राजकुमार दुर्योधन
को अपने पास बुलाया और कहा- 'वत्स! तुम समाज में से एक
अच्छे आदमी की परख करके उसे मेरे सामने उपस्थित करो।'
दुर्योधन ने कहा- 'जैसी आपकी इच्छा' और वह अच्छे आदमी की खोज में निकल
पड़ा।
कुछ दिनों बाद दुर्योधन वापस आचार्य के पास
आया और कहने लगा- 'मैंने कई नगरों, गांवों का भ्रमण किया परंतु कहीं कोई अच्छा आदमी नहीं मिला।'
फिर उन्होंने राजकुमार युधिष्ठिर को अपने पास
बुलाया और कहा- 'बेटा! इस पृथ्वी पर से कोई
बुरा आदमी ढूंढ कर ला दो।'
युधिष्ठिर ने कहा- 'ठीक है गुरू जी! मैं कोशिश करता हूं।'
इतना कहने के बाद वे बुरे आदमी की खोज में चल
दिए। काफी दिनों के बाद युधिष्ठिर आचार्य के पास आए।
आचार्य ने पूछा- 'क्यों? किसी बुरे आदमी को साथ लाए?'
युधिष्ठिर ने कहा- 'गुरू जी! मैंने सर्वत्र बुरे आदमी की खोज की परंतु मुझे कोई बुरा आदमी
मिला ही नहीं। इस कारण मैं खाली हाथ लौट आया हूं।'
सभी शिष्यों ने आचार्य से पूछा- 'गुरुवर! ऐसा क्यों हुआ कि दुर्योधन को कोई अच्छा आदमी नहीं मिला और
युधिष्ठिर को कोई बुरा आदमी नहीं।'
आचार्य बोले- 'बेटा!
जो व्यक्ति जैसा होता है उसे सारे लोग अपने जैसे दिखाई पड़ते हैं। इसलिए दुर्योधन
को कोई अच्छा व्यक्ति नहीं मिला और युधिष्ठिर को कोई बुरा आदमी न मिल सका।'
कुछ दिन पहले की बात है
by
hemantsarkar
- 9:34 PM
कुछ दिन पहले की बात है शाम 5:30 के आसपास का
वक़्त था जब किसी काम के सिलसिले में मैं मेडिकल कॉलेज गया था,वहा सड़क पे थोड़ा पानी
था (वहा धुल ना उड़े इसलिए पानी सड़क पे डाला जाता है ),मैं अपने स्कूटी को भी वहां
रोक दिया कुछ लड़के भी उस पानी को कूदकर निकलना चाह रहा था एक लड़का तो निकल गया
लेकिन एक उस पानी में स्लिप कर गिर गया गिरते ही वहां सभी हंसने लगे कुछ तो उसका
फ़ोटो भी लेने लगा उसे मोच आई थी मैं उसे सहारा दे कर उठाया और उन बच्चों से कहा
तुमको शर्म नहीं आती यह गिर गया और तुम लोग हंस रहें हो पता है महाभारत जो हुआ था
उसका मुख्य कारण क्या था...? ये हंसी था...ये हंसी ही महाभारत के युद्ध का कारण
बना उनलोगों ने पूछा कैसे तो ये छोटी सी कहानी सुनाया मैंने......
इंद्रप्रस्थ राज्य माया की मदद से बनाया गया
था. तो यह पानी के भीतर बनाया गया महल की तरह बहुत आश्चर्य था. महल में चलते समय, एक जगह दुर्योधन ने सोचा कि पानी था. वह सावधानी से चला गया जैसे कि वह
पानी में घूम रहा था. इसे पार करने के बाद, उसे एहसास हुआ कि
पानी का गिलास है, इसलिए वह आश्चर्यचकित था
एक अन्य जगह में, जहां पानी वास्तव में था, वह सोचने लापरवाह तरीके से
चला गया कि क्या यह समान है. तो वह नीचे गिर गया... दुर्योधन को निचे पानी में
गिरा देख कर द्रौपदी जोर से हंसने लगी और कटाक्ष के रूप के कहा की अंधे के बेटा भी
अँधा..
दुर्योधन के अहंकार को चोट लगी और उसने
शर्मिंदा और नाराज महसूस किया. उस पल वह सोच लिया की वह द्रौपदी से इस अपमान का
बदला लेगा.....
सुन कर सभी के चेहरे पे पश्चताप अस्पस्ट नज़र आ
रहा था...
Hs
इंटरनेट के स्पीड एक बुनियादी बात
by
hemantsarkar
- 7:26 AM
इंटरनेट के स्पीड पर आज
उस स्पीड की एक बुनियादी बात...
आज कल शहर में रोड के किनारे एक मशीन लगी रहती
है जिससे एक पाइप निकल के ज़मीन के अन्दर चली जाती है....यह मशीन ऑप्टिकल फाइबर को ज़मीन
के अन्दर बिछाने का काम करती है...
ऑप्टिकल फाइबर है क्या.....?
संचार इस आधुनिक समय में अस्तित्व की कुंजी है...
द्रुत संचार के लिए कई अलग-अलग तरह के माध्यम मौजूद हैं। तथापि, फाइबर ऑप्टिक संचार अद्वितीय है। इसकी बात ही कुछ अलग है। परंपरागत रूप से,
हमारे पास संचार के लिए विद्युत तार होते हैं। फाइबर ऑप्टिक्स उच्च
गति के साथ आगे बढ़ने वाली रौशनी के साथ विद्युत कनेक्टिविटी की जगह ले लेता है।
इसलिए, फाइबर ऑप्टिक संचार ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से
प्रकाश के पल्सों को भेजते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान तक जानकारी भेजने का एक
तरीका है। इस प्रकाश से एक विद्युत चुम्बकीय वाहक तरंग बनता है, जो जानकारी ले जाने के लिए मॉड्यूलेटेड है। 1970 के
दशक में पहली बार विकसित, फाइबर ऑप्टिक्स ने दूरसंचार उद्योग
में क्रांति ला दी और सूचना युग के आगमन में एक प्रमुख भूमिका निभाई। विद्युत
संचरण की तुलना में अधिक फायदों के कारण, ऑप्टिकल फाइबर ने
विकसित दुनिया में प्रमुख नेटवर्कों में तांबा तार संचार में बड़े पैमाने पर बदलाव
किया है।
ऑप्टिकल फाइबर की अभी तक पाँच पीढ़ियाँ हुई
हैं। वे मुख्यतः तरंग , दर और रिपीटर स्पेसिंग में
उन्नत हुए हैं। यहाँ उन पीढ़ियों का उल्लेख है जिनसे संचार का चेहरा बदला है और
बदल जाएगा....
ऑप्टिकल फाइबर ग्लास या प्लास्टिक के बाल जैसा
पतले थ्रेड्स हैं, जो कि डेटा ट्रांसमिशन माध्यम
के रूप में तांबे के तार या समाक्षीय केबल के रूप में काम किया जा सकता है।
बुनियादी अंतर यह है कि ऑप्टिकल फाइबर विद्युत संकेतों के बजाय प्रकाश संकेत
प्रेषित करते हैं। क्योंकि प्रकाश बिजली की तुलना में बहुत तेजी से यात्रा करता है,
ऑप्टिकल फाइबर तांबे के तारों या समाक्षीय केबल(copper wires
or coaxial cables) की तुलना में बहुत अधिक गति पर डेटा संचारित कर
सकते हैं, और बहुत लंबी दूरी पर तीव्रता में कोई भी महत्वपूर्ण
नुकसान नहीं है....
अब वह दिन दूर नहीं जब हमलोग भी हाई स्पीड
इंटरनेट का प्रयोग कर सकते है...
Hs
बुद्ध
by
hemantsarkar
- 9:05 AM

गुरु के साथ होने का क्या मतलब है? इसके लिए किस चीज की जरूरत होती है? अगर आप गुरु के
पास एक अच्छे दर्शक या फिर के अच्छे विद्यार्थी के रूप में भी बैठें, तो गुरु के साथ होने का जो मतलब होता है, उसके पूरे
पहलू से आप चूक जाएंगे। अगर आपको बस उपदेश या थोड़े-बहुत मार्गदर्शन की जरूरत है,
तो आपको गुरु की जरूरत ही नहीं है। बहुत से शिक्षक ऐसा कर सकते हैं,
विद्वान भी ऐसा कर सकते हैं, किताबों से भी
आपको यह सब पता चल सकता है। ‘गुरु के साथ होने’ का मतलब है कि आप सीधा असर चाहते हैं। आप मार्गदर्शन या सहायता नहीं चाहते,
आप सीधा असर चाहते हैं। इसके लिए किस चीज की जरूरत होती है और आपको
कैसा होना चाहिए?
गौतम बुद्ध का रहस्यमयी आदेश
एक दिन एक व्यक्ति गौतम बुद्ध से मिलने आया।
गौतम एक छोटे से कमरे में अकेले बैठे हुए थे। वह व्यक्ति हाथ में कुछ फूल लेकर आया
क्योंकि भारत में गुरु के अभिवादन का यह आम तरीका है।
जैसे वह उनकी तरफ आने लगा, गौतम ने उसकी ओर देखा और कहा, ‘गिरा दो’। उनके ऐसा कहने पर उस व्यक्ति ने सोचा कि चूंकि वह इन फूलों को भेंट के
तौर पर लाया है, इसलिए गौतम उसे गिरा देने के लिए कह रहे
हैं। फिर उसने सोचा, ‘शायद मैंने फूलों को बाएं हाथ में भी
रखा है, यह अशुभ होगा।’ यह भी हमारी
संस्कृति का एक हिस्सा है, किसी को अपने बाएं हाथ से कुछ देना
अशुभ माना जाता है। इसलिए उसने सोचा कि यही वजह है कि गौतम फूलों को गिरा देने के
लिए बोल रहे हैं। फिर उसने अपने बाएं हाथ के फूलों को छोड़ दिया और सही तरीके से
फिर आगे बढ़ा। गौतम ने एक बार फिर उसे देखा और कहा, ‘गिरा
दो।’ अब उसे समझ में नहीं आया कि क्या करना है। फूलों में
क्या बुराई है? उसने बाकी फूल भी गिरा दिए। फिर गौतम ने कहा,
‘मैंने ‘उसे’ गिराने को
कहा, फूलों को नहीं।’ जो व्यक्ति फूल
लाया है, आपको उसे गिराना होगा, उसे
त्यागना होगा, वरना आप बुद्ध को नहीं जान पाएंगे। आप आएंगे,
सिर झुकाएंगे, सुनेंगे और चले जाएंगे मगर किसी
आत्मज्ञानी के साथ होने का मतलब नहीं जान पाएंगे। आप इस संभावना से पूरी तरह चूक
जाएंगे।
अगर आप अपने जीवन में बिल्कुल नया आयाम जोड़ना
चाहते हैं, तो आपको ‘उसे’
गिराना होगा, किसी और चीज को नहीं। अपने काम,
अपने परिवार, इसको और उसको छोड़ने का कोई मतलब
नहीं है। आपको सिर्फ ‘इसे’ यानी खुद को
छोड़ना है- तभी कुछ हो सकता है। अभी आप जिसे ‘मैं’ कहते हैं, वह सिर्फ विचारों, भावनाओं,
मतों, राय और विश्वासों का एक बोझ है। अगर आप
उसे नहीं गिराते, तो नई संभावना कहां से आएगी? क्या आप सिर्फ पुरानी चीजों को इधर-उधर की चीजों से सजाने की कोशिश कर रहे
हैं। इससे कोई मदद नहीं मिलेगी, इससे चीजें और भी मुश्किल
होती जाएंगी। लेकिन सिर्फ मेरे ‘गिरा दो’ कहने पर वह गिर नहीं जाएगा। इसलिए कुछ विधियां और प्रक्रियाएं हैं,
जिनसे यह गिराना संभव हो जाता है।
sadhguru
sadhguru
क्रोध में दिए गए घाव कभी नहीं भरते
by
hemantsarkar
- 7:37 PM
बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक लड़का रहता था. वह बहुत ही गुस्सैल था, छोटी-छोटी बात पर अपना आप खो बैठता और लोगों को भला-बुरा कह देता. उसकी इस
आदत से परेशान होकर एक दिन उसके पिता ने उसे कीलों से भरा हुआ एक थैला दिया और कहा
कि, ”अब जब भी तुम्हे गुस्सा आये तो तुम इस थैले में से एक
कील निकालना और बाड़े में ठोक देना।”
पहले दिन उस लड़के को चालीस बार गुस्सा किया
और इतनी ही कीलें बाड़े में ठोंक दी.पर धीरे-धीरे कीलों की संख्या घटने लगी,उसे लगने लगा की कीलें ठोंकने में इतनी मेहनत करने से
अच्छा है कि अपने
क्रोध पर काबू किया जाए और अगले कुछ हफ्तों में उसने अपने गुस्से पर बहुत हद्द तक
काबू करना सीख लिया. और फिर एक दिन ऐसा आया कि उस लड़के ने पूरे दिन में एक बार भी
अपना आपा नही खोया।
जब उसने अपने पिता को ये बात बताई तो उन्होंने
ने फिर उसे एक काम दे दिया, उन्होंने कहा कि, ”अब हर उस दिन जिस दिन तुम एक बार भी गुस्सा ना करो इस बाड़े से एक कील
निकाल निकाल देना।”
लड़के ने ऐसा ही किया, और बहुत समय बाद वो दिन भी आ गया जब लड़के ने बाड़े में लगी आखिरी कील भी
निकाल दी, और अपने पिता को ख़ुशी से ये बात बतायी।
तब पिताजी उसका हाथ पकड़कर उस बाड़े के पास ले
गए,
और बोले, ” बेटे तुमने बहुत अच्छा काम किया है,
लेकिन क्या तुम बाड़े में हुए छेदों को देख पा रहे हो। अब वो बाड़ा
कभी भी वैसा नहीं बन सकता जैसा वो पहले था। जब तुम क्रोध में कुछ कहते हो तो वो
शब्द भी इसी तरह सामने वाले व्यक्ति पर गहरे घाव छोड़ जाते हैं।”
इसलिए अगली बार अपना आपा खोने से से पहले आप
भी ये जरूर सोच लें कि ये सामने वाले पर कितना गहरा घाव छोड़ सकता है, हो सकता है उस समय आपका गुस्सा आपको जायज लगे लेकिन ये भी हो सकता है की
बाद में आपको अत्यधिक पश्चाताप बावजूद भी सुकून न मिले…..
स्वामी विवेकानंद ने किताब कुछ ऐसे पढ़ी
by
hemantsarkar
- 8:00 PM
दुनिया के हर हिस्से में ऐसे लोग हुए हैं, जो अपनी बोध-क्षमता यानी महसूस करने की शक्ति को पांच इंद्रियों से आगे ले
गए। स्वामी विवेकानंद के बारे में एक दिलचस्प कहानी है। वे पहले योगी थे जो पश्चिम
गए और वहां जा कर उन्होंने हलचल मचा दी। यह घटना सौ साल पुरानी है । उन्होंने अपना
पहला कदम शिकागो में रखा, और फिर वहां से वे यूरोप गए।
जब वे जर्मनी पहुंचे, तो वे वहां एक ऐसे आदमी के घर मेहमान बने, जो उस समय
का मशहूर कवि और दार्शनिक था। रात के भोजन के बाद, वे दोनों
अध्ययन कक्ष में बैठ कर बातचीत कर रहे थे। मेज पर एक किताब रखी थी, जो थोड़ी पढ़ी हुई लग रही थी। वे दार्शनिक महाशय उस किताब की बहुत तारीफ कर
रहे थे, इसलिए स्वामी विवेकानंद बोले, “मुझे एक घंटे के लिए यह किताब दे दीजिए, जरा देखूं
तो इसमें क्या है।” उन महाशय को बुरा लगा और थोड़े आश्चर्य के
साथ उन्होंने पूछा, “क्या? एक घंटे के
लिए ! एक घंटे में आप क्या जान लेंगे? मैं यह किताब कई
हफ्तों से पढ़ रहा हूं, पर अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच
पाया हूं। इतना ही नहीं, यह किताब जर्मन भाषा में है,
और आप जर्मन भाषा नहीं जानते,आप इसको पढ़ेंगे
कैसे?” विवेकानंद ने कहा, “मुझे बस एक
घंटे के लिए दे दीजिए; देखूं तो सही।” उन
महाशय ने मजाक समझ कर वह किताब उनको दे दी।
विवेकानंद ने किताब ले कर अपनी दोनों हथेलियों
के बीच दबा कर पकड़ ली और बस यूं ही एक घंटे तक बैठे रहे। फिर उन्होंने किताब लौटा
दी और कहा, “इस किताब में कुछ खास नहीं है।” उन महाशय ने सोचा कि यह तो आला दर्जे का अहंकार है। ये किताब खोल भी नहीं
रहे, यह उस भाषा में है जो इनको आती ही नहीं, और ये इस पूरी किताब के बारे में अपनी राय दे रहे हैं! वे महाशय बोले,
“बिलकुल बेकार की बात है।” विवेकानंद ने कहा,
“आप मुझसे किताब के बारे में कुछ भी पूछ लीजिए। बोलिए, आप कौन-से पेज के बारे में जानना चाहते हैं?” उन
महाशय ने जो भी पेज संख्या बताई, विवेकानंद ने उसी वक्त पूरे
पेज का एक-एक शब्द उनको सुना दिया। उन्होंने किताब खोली ही नहीं, बस, उसे दोनों हथेलियों के बीच पकड़े रहे। पर वे किसी
भी पेज को इसी तरह सुना देते। उन महाशय को बिलकुल यकीन नहीं हो पाया। उन्होंने कहा,
“यह क्या है? किताब खोले बिना और वह किताब भी
उस भाषा की जो आपको नहीं आती, आप यह सब कैसे बता सकते हैं?”
तब विवेकानंद ने कहा, “इसीलिए तो मैं
विवेकानंद हूं।” ‘विवेक’ का मतलब बोध
होता है। उनका असली नाम नरेन था। इसीलिए उनका नाम था ‘विवेकानंद’,
क्योंकि उनके पास ऐसी विशेष बोध-क्षमता थी....
कर्म ही सर्वश्रेष्ठ है कर्म की ही विजय है
by
hemantsarkar
- 9:49 PM
हम जैसे है,वैसे हम दिखाई नहीं पड़ते
हम जैसे दिखते है, वैसे कभी नहीं थे.
ये सत्य है आज के मानव का
हम शांति चाहते है
हम खुशियाँ चाहते है
हम अपनों का प्यार चाहते है
हम दुनियाँ के नजरों में अच्छा बनना चाहते है
हम नि:स्वार्थ सेवा भी करना चाहते है,
लेकीन.......................
हम विवेक भी खो देते है
हम बुराई भी कर लेते है
हम हत्या लुट भी कर लेते है....
आख़िर हम है कौन
हम तुम ही है,और तुम हम
यह संसार भी हम ही में समाया है.
अपेक्षा भी हम ही करते है
और उपेक्षा भी हम ही करते है
भटकते रहते है
सारी उम्र कुछ पाने के लिए
पाते भी है पर कई लोंग से बिछुड़ जाते है
सभी सपने भी देखते कई का पुरा हो जाता तो
बहुतों का टूट भी जाता है....
“कर्म ही सर्वश्रेष्ठ है
कर्म की ही विजय है”
मेरे चाचा का सपना सच हो गया
by
hemantsarkar
- 11:01 AM
एक संघर्ष की कथा मेरे चाचा की आज एक सत्य
कहानी सुनाता हूँ....
मेरी दादी का सरस्वती पूजा के दिन देहांत हो
गया था...और हमलोंग तभी से सरस्वती पूजा नहीं मनाते थे ये सिर्फ एक साल ही हुआ था
की तभी हमलोगों के घर 1995 में मेरा भाई Chetan
Anand का जन्म हुआ जो मेरे चचेरे चाचा #विद्याधर_सरकार का बड़ा बेटा...और फिर हमलोंग सरस्वती पूजा मानाने लगें...
मेरे चाचा अपने भाई में तीसरे स्थान पे थे और
अपने भाई के बीच ज़मीन का बंटबारा फिर थोड़े से जमीन में अपना खेती कर गुजरा करने
लगे लेकिन उन्हें अपने बच्चे के भविष्य की चिंता थी...वह समझ गए की इन खेती से
उनकें बच्चें का भविष्य नहीं बनने वाला था....और वह 1997 में मधेपुरा आ गए और Amit Saraf के यहाँ एक
प्राइवेट नौकरी करने लगे.
5000/- रु मासिक पे इन्होंने अपना काम
ईमानदारी पूर्वक करने लगे Chetan Anand (विक्की) बचपन से ही
पढ़ने में अब्बल रहता था हमेसा अपने क्लास में प्रथम आता मेरे चाचा अपने बच्चे के
पढाई में कोई कसर नहीं छोड़ते थे...
2012 जब वह XII 84% से
पास होने के बाद वह #JEE_Main की तैयारी के लिए पटना चला
गया...मेरे चाचा के सामने उनकी बेटी और मेरी बहन Deepa Dixit की भी जबाबदेही थी वह भी पढने में अब्बल ख़ैर सभी का साथ और ऑवर टाइम नौकरी
कर के अपना कर्तव्य का निर्वाह करते रहें......और साथ ही Amit Saraf का पुरा सहयोग मेरे चाचा को उनके बच्चें के पढाई मिलता रहा...
तभी पटना में Chetan Anand का तबियत ख़राब हो गया और वह #JEE_Main के Exm
में किसी तरह बैठा लेकिन अच्छा रैंक नहीं ला सका...और वह एक और चांस
लेना चाह रहा था और कोटा जा कर तैयारी करने की बात अपने पापा को बोला... चाचा बोले
ठीक है लेकिन एक समस्या थी कैसे.....?
जिसे कुछ करने की चाहत होती है उसे कोई नहीं
रोक सकता मेरे चाचा अपने हालात और पारिस्थिति से समझौता कर ही रहे थे...एक और
समझौता कर के किसी तरह उसे कोटा भेज दिए #JEE_Main का Exm
आया और इस वार वह अच्छे रैंक से निकल लिया...
फिर क्या था एक ख़ुशी का माहोल बना और फिर उसका
दाखिला #IIT_Kharagpur
में हो गया...
और Chetan Anand इसी
साल Engineer बन कर,गोवा में #Vedanta_Limited
में जॉब कर रहा है...और मेरी बहन
Deepa Dixit,#Birla_Institute_Of_Technology_Meshra .में अपनी पढाई कर रही है...
आज इन्हें देख कर बहुत ख़ुशी होती है और एक सिख
भी... की जो बच्चें पढ़ने वाले होते है उन्हें खुल कर मदद करें...पेरेट्स अपने
बच्चों को आगे बढ़ने के लिए नहीं रोके....
मैं अपने चाचा और चाची को प्रणाम करता हूँ की
बहुत तकलीफ काट के इन्होंने अपने बच्चें को पढ़ाये....लेकिन यह सत्य घटना आपको किसी
#News_Portal
पे और ना ही किसी #न्यूज़_पेपर में नहीं मिलेगा ...क्योंकि मेरे चाचा एक साधरण इंसान की तरह रहें आज
भी उन्हें शाम को पैदल आप मधेपुरा के सड़को पे सामान का ऑडर लेते देख सकतें है...
और आज मेरे चाचा का सपना सच हो गया...
एक प्रेरणा बन कर अगर कुछ इनसे सीखें और अपने
बच्चों को स्मार्ट मोबाइल की अहमियत ना दे कर शिक्षा की अहमियत बताए तो बड़ी बात
होगी....
इसे जरुर पढ़ें और प्रेरणा ले...
By- Hemant Sarkar
मैं बहरा था, बहरा हूँ और बहरा रहूँगा
by
hemantsarkar
- 10:00 AM
एक बार एक सीधे पहाड़ में चढ़ने की प्रतियोगिता
हुई. बहुत लोगों ने हिस्सा लिया. प्रतियोगिता को देखने वालों की सब जगह भीड़ जमा हो
गयी. माहौल में सरगर्मी थी , हर
तरफ शोर ही शोर था. प्रतियोगियों ने चढ़ना शुरू किया। लेकिन सीधे पहाड़ को देखकर
भीड़ में एकत्र हुए किसी भी आदमी को ये यकीन नहीं हुआ कि कोई भी व्यक्ति ऊपर तक
पहुंच पायेगा …
हर तरफ यही सुनाई देता …“ अरे ये बहुत कठिन है. ये लोग कभी भी सीधे पहाड़ पर नहीं चढ़ पायंगे, सफलता का तो कोई सवाल ही नहीं, इतने सीधे पहाड़ पर तो
चढ़ा ही नहीं जा सकता और यही हो भी रहा था, जो भी आदमी कोशिश
करता, वो थोडा ऊपर जाकर नीचे गिर जाता, कई लोग दो -तीन बार गिरने के बावजूद अपने प्रयास में लगे हुए थे …पर भीड़ तो अभी भी चिल्लाये जा रही थी, ये नहीं हो
सकता, असंभव और वो उत्साहित प्रतियोगी भी ये सुन-सुनकर हताश
हो गए और अपना प्रयास धीरे धीरे करके छोड़ने लगे,
लेकिन उन्हीं लोगों के बीच एक प्रतियोगी था, जो बार -बार गिरने पर भी उसी जोश के साथ ऊपर पहाड़ पर चढ़ने में लगा हुआ था
….वो लगातार ऊपर की ओर बढ़ता रहा और अंततः वह सीधे पहाड़ के
ऊपर पहुच गया और इस प्रतियोगिता का विजेता बना. उसकी जीत पर सभी को बड़ा आश्चर्य
हुआ, सभी लोग उसे घेर कर खड़े हो गए और पूछने लगे, तुमने ये असंभव काम कैसे कर दिखाया, भला तुम्हे अपना
लक्ष्य प्राप्त करने की शक्ति कहाँ से मिली, ज़रा हमें भी तो
बताओ कि तुमने ये विजय कैसे प्राप्त की ?
तभी
पीछे से एक
आवाज़ आई … अरे उससे क्या पूछते हो, वो तो बहरा है तभी उस
व्यक्ति ने कहा कि हर नकारात्मक बात के लिए -
" मैं बहरा था, बहरा हूँ और बहरा रहूँगा ".
"दोस्तों, हम
सब के अंदर असीम सम्भावनाएं होती हैं और अपना लक्ष्य प्राप्त करने की क्षमताएँ भी
होती हैं लेकिन हम अपने परिवेश और मौजूदा वातावरण में फैले नकारात्मकता की वजह से
खुद को काम आंकते हैं और हिम्मत हार जाते हैं, और इसी वजह से
अपने बड़े से बड़े और छोटे से छोटे सपनों के साथ समझौता कर लेते हैं और उन्हें बिना
पूरा किये ही जिंदगी गुजर देते हैं।
दोस्तों ये कहानी हमें यही सिखाती है की आईये
हम,
हमें कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज को अनसुना करें और उसके प्रति
बहरे हो जाएँ तथा हर उस दृश्य के प्रति अंधे हो जाएँ जो हमें सफलता के शिखर तक
पहुँचने से रोकते हैं..."
ये कहानी आपको कैसी लगी, हमें जरूर बताएं
काग़ज पे लिख कर हर रिश्ता से मुक्त हो जाता है
by
hemantsarkar
- 8:32 AM
कोई काग़ज पे लिख कर हर रिश्ता से मुक्त हो
जाता है
कोई हर रिश्ता खत्म कर देता है
तो कोई नया रिश्ता बना लेता है
यह खेल है जीवन का यह तो बस चलता रहता है....
एक रिश्ता आप से एक रिश्ता दिल से
by
hemantsarkar
- 9:39 AM
मैं खुद को पत्थर नहीं बना सका
रिश्ता जो दिल का है उसे कभी नहीं तोड़ सका
वक्त के इस तूफान में कई चेहरे बदल गए
मगर रिश्ता जो दिल से है वह बदल नहीं सका
बहुत मुश्किल से बनता है एक रिश्ता
कोई समझे या ना समझे
मगर मैने निभाया है हर रिश्ता
हां मै पत्थर नहीं बन सका
जैसी श्रद्धा वैसा रिश्ता
एक रिश्ता आप से एक रिश्ता दिल से....
Hemant Sarkar
एक आखरी ख़त
by
hemantsarkar
- 8:35 AM
एक आखरी ख़त तेरे नाम
जिसमें मुहब्बत तो होगी
पर जज्बातों नहीं
जिसमे चाहत तो होगी
पर अफसाने नहीं
जिसमें प्यार भरी मोती तो होगी
लेकीन कोई कशिश नहीं....
हां आज एक आखरी ख़त लिखने जा रहा हु...
जिसमे मिलन की कोई बात नहीं
जिसमे देखने की कोई चाहत नहीं..
तुम तक जाने का हर वह रास्ता बंद कर
मै भी इस आखरी ख़त को अब बंद कर भेज दूंगा
तुम्हारे पास
तुम रोना नहीं क्यों की वह आंसू अब मुझे
दिखेगी नहीं...
Hemant Sarkar