जाने कुछ साइबर क्राइम के बारे में
आज हमलोग डिजिटल युग में पहुँच गए तो जाने तो
आज जाने कुछ साइबर क्राइम के बारे में..इसे ध्यान से एक बार जरुर पढ़े..
इस साल ग्लोबल साइबर हमला, रैन्समवेयर, साइबर क्राइम की सबसे चर्चित घटना भले
रहा हो लेकिन इकलौता नहीं.
साल 2017 के पहले 6 महीनों में हर 10
मिनट पर एक साइबर क्राइम होने की बात सामने आई है। यह 2016
के आंकड़ों से ज्यादा है जब हर 12 मिनट में एक क्राइम होता
था। इसमें जालसाजी और स्कैनिंग जैसे क्राइम शामिल हैं।
साइबर क्राइम में कौन-कौन आते हैं
ऐसे व्यक्ति जो दूसरों के डाटा की चोरी करते
हो
ऐसे लोग जो अनजान व्यक्ति के खाते से पैसे
चोरी करते हो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जैसी इंटरनेट के जरिए
ब्लू व्हेल गेम जैसे खतरनाक गेम को
संचालित करने वाले
अश्लील वीडियो फोटो ऑडियो को इंटरनेट पर डालने
वाले
पोर्नोग्राफी
देखना भी एक अपराध है
फर्जी मेल करने वाले कॉल करके अकाउंट की जानकारी मांगने वाल
किसी व्यक्ति की गोपनीय जानकारी को इंटरनेट पर
पोस्ट करना भी एक अपराध है
वायरस भेजकर कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान
पहुंचाना फाइल स्कोर करप्ट करना
किसी वेबसाइट को हैक करना भी साइबर क्राइम के अंतर्गत आता है
साइबर क्रिमिनल से बचने के उपाय
हमेशा अपने कंप्यूटर में एंटीवायरस का
इस्तेमाल करे
अपनी ID और पासवर्ड
को कंप्यूटर में सेव ना रखें
ऐसे ईमेल को न खोले जो अनजान व्यक्ति द्वारा
किया गया ho
अपना ATM कार्ड और
पिन कोड किसी को न बताएं
फर्जी फोन कॉल से बचें आजकल फर्जी फोन कॉल पर ATM
की जानकारी मांगी जा रही है इस तरह की कॉल आने पर कभी अपने अकाउंट
की डिटेल ना दें
सोशल साइट का इस्तेमाल करने के बाद अपनी ID लॉगआउट जरूर करें
संदेहपूर्ण तरीकों से व्यक्तिगत जानकारी
मांगने वाले अनचाही ईमेल और लिंक पर ध्यान दें खासतौर पर बैंकों और क्रेडिट
कार्ड कंपनियों के होने का दावा करने वालों
se
सॉफ्टवेयर और ऐप्स को नियमित रूप से अपडेट करते
रहें जिससे मालवीय से उत्पन्न सिक्योरिटी की मौजूदा समस्याएं दूर हो जाती है
अपने वाई-फाई नेटवर्क को हमेशा सुरक्षित रखें
अपना पासवर्ड सावधानी से चुने और पासवर्ड किसी को भी ना बताए नहीं तो कुछ अपराधी
आपके वाईफाई से कुछ अपराधिक एक्टिविटी करेंगे जिससे आपको प्रॉब्लम हो सकती है
किसी को भी आवश्यकता से ज्यादा जानकारी ना दें
खासकर बैंक और क्रेडिट कार्ड जारी करने वालों को क्योंकि इन लोगों को आपका पिन
नंबर और पते के बारे में पहले से ही जानकारी होती है
सही स्रोत जाने बिना किसी अटैचमेंट या लिंक
पर क्लिक ना करें
सार्वजनिक कंप्यूटर से ऑनलाइन बैंकिंग ना करें
अपने निजी डेटा को सुरक्षित रखें…
अब जानते है कुछ साइबर क्राइम के आईपीसी की
धाराएं के बारे में....
साइबर क्राइम के मामलों में आईपीसी की धाराएं
इतनी सख्त हैं कि दोषी को मामूली जुर्माने से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है तो जाने कौन
कौन सी धाराएं लगती है.
*हैकिंगः धाराएं और सजा--- आईटी (संशोधन) एक्ट
2008 की धारा 43 (ए), धारा 66
- आईपीसी की धारा 379 और 406 के तहत अपराध साबित होने पर तीन साल तक की जेल या पांच लाख रुपये तक
जुर्माना हो सकता है.जानकारी या डेटा चोरी-ऐसे मामलों में आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 43 (बी), धारा 66
(ई), 67 (सी), आईपीसी की
धारा 379, 405, 420 और कॉपीराइट कानून के तहत दोष साबित होने
पर अपराध की गंभीरता के हिसाब से तीन साल तक की जेल या दो लाख रुपये तक जुर्माना
हो सकता है.
*वायरस,स्पाईवेयर
फैलाना---इस तरह के केस में आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा
43 (सी), धारा 66, आईपीसी की धारा 268 और देश की सुरक्षा को खतरा
पहुंचाने के लिए फैलाए गए वायरस पर साइबर आतंकवाद से जुड़ी धारा 66 (एफ) भी लगाई जाती है. दोष सिद्ध होने पर साइबर-वॉर और साइबर आतंकवाद से
जुड़े मामलों में उम्र कैद का प्रावधान है. जबकि अन्य मामलों में तीन साल तक की
जेल या जुर्माना हो सकता है.
*पहचान की चोरी---किसी दूसरे शख्स की पहचान से
जुड़े डेटा, गुप्त सूचनाओं वगैरह का इस्तेमाल करना भी
साइबर अपराध है. यदि कोई इंसान दूसरों के क्रेडिट कार्ड नंबर, पासपोर्ट नंबर, आधार नंबर, डिजिटल
आईडी कार्ड, ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शन पासवर्ड, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर वगैरह का इस्तेमाल करके शॉपिंग या धन की निकासी
करता है तो वह इस अपराध में शामिल हो जाता है,ऐसा करने वाले
पर आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43, 66 (सी), आईपीसी की धारा 419 लगाए
जाने का प्रावधान है. जिसमे दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या एक लाख रुपये
तक जुर्माना हो सकता है.
*ई-मेल स्पूफिंग और फ्रॉड---इस तरह के मामलों
में आईटी कानून 2000 की धारा 77 बी, आईटी (संशोधन) कानून 2008
की धारा 66 डी, आईपीसी की धारा 417,
419, 420 और 465 लगाए जाने का प्रावधान है.
दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है.
*पोर्नोग्राफी---इंटरनेट के माध्यम से
अश्लीलता का व्यापार भी खूब फलफूल रहा है. ऐसे में पोर्नोग्राफी एक बड़ा कारोबार
बन गई है. जिसके दायरे में ऐसे फोटो, विडियो,
टेक्स्ट, ऑडियो और सामग्री आती है,इसके तहत आने वाले मामलों में आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 67 (ए), आईपीसी की
धारा 292, 293, 294, 500, 506 और 509
के तहत सजा का प्रावधान है. जुर्म की गंभीरता के लिहाज से पहली गलती पर पांच साल
तक की जेल या दस लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है लेकिन दूसरी बार गलती करने पर
जेल की सजा सात साल तक बढ़ सकती है.
*बच्चों और महिलाओं को तंग करना---आज के दौर
में सोशल नेटवर्किंग साइट्स खूब चलन में हैं. ऐसे में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों, ई-मेल, चैट वगैरह के जरिए बच्चों या महिलाओं को तंग
करने के मामले अक्सर सामने आते हैं,इस तरह के केस में आईटी
(संशोधन) कानून 2009 की धारा 66 (ए) के
तहत सजा का प्रावधान है. दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता
है.
स्रोत-आजतक
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