सत्य तो केवल सत्य है
सत्य तो केवल सत्य है खड़ा अपनी जगह
अविचल एक प्रकाश स्तम्भ
फूटती किरणें निर्मल सा
अनन्त तक,दिग-दिगन्त
तक
साम्राज्य उसी का
पर आखें वाले अंधे हम देख नहीं पाते
ज़माने को उसे छु के देखने की ज़िद पे अड़े
और सत्य स्तम्भ सा खड़ा
एक दिवार है सत्य
और जूझते आपस में
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