वह एक आतंकवादी था
लाश जो बांसों में बंधी थी
दो जल्लाद उसे कंधों पे उठाए जा रहा था...
तभी लाश ने कहा-
"मुझे इस तरह क्यों ले जा रहे हो
मेरा भी कोई है
माँ है,बाप है,बेटा है,"
माँ-बाप अपने ही बेटे की लाश को नहीं पहचानता
खुद उसका बेटा भी उसे नहीं पहचानता
क्यों ही
उसने हजारों जानें ली
कई बेटें को अनाथ किया
कितने सुहागनों को विधवा किया....
"वह एक आतंकवादी था"
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