मैं अक्स हूँ

by - 12:09 AM


आज अपने बिस्तर पर जैसे ही गया...
मेरी जिंदगी पहले से करवटें बदल रही थी...
लेट गया अपने बिस्तर पे आँखे बंद कर जाना चाहता था
अपने फ्लैश बैक में...
तभी दरवाजें पे दस्तक होती है
दरवाजा खोलते ही एक और जिंदगी मेरे सामने खड़ी दिखती है
पूछा "कौन हो आप"
जबाब था
" मैं उसी जिंदगी का जुड़वाँ भाई हूँ मैं अक्स हूँ "
मैंने अन्दर बुलाया ठंडा पानी पिलाया
फिर आने का प्रयोजन पूछा
और उनके श्री चरणों में बैठ गया...
" खुद से लड़ना और संघर्ष करना तेरा कर्म है और तुझे सत्य मार्ग पे ले चलना मेरा कर्म है"
फिर चले गए वह उन कर्म-ज्ञान को दे कर
"सत्य कड़वा होता है पराजय नहीं." 
                                                              

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