सरकार बाबू अब नहीं रहें
मेरे बाबा (पापा) अब नहीं रहें सोमवार रात
12:25 मिनट में वह आखरी सांस लिए..
बाबा एक ऐसे शख्स थे जिनके बदौलत आज हमलोग हैं
हम तीन भाई और एक बहन में मैं सबसे बड़ा हम तीनों भाई आज उनके आशीर्वाद से उनके तरफ
से एक ऐसा DNA मिला कि हमलोग कही भी भुखे नही मर सकते
हम तीनों भाई तकनीकी रूप से समृद्ध है एक ऐसा हुनर दे कर वह आज हमलोगों से हमेसा
हमेसा के लिए दूर चले गए वह बहुत ही तकनीकी और टेक्नोलॉजी से अपडेट रहने वाले
इंसान थे...
उनकी तकनीक की बहुत किस्सें से कुछ साझा कर
रहा हूँ
एक कहानी इनके बारे में-
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मेरे आँगन में चापाकल के ऊपर जो हैंडिल था उस
पे कौआ आ के बैठ जाता था और गंदा कर देता था इससे हमलोग बहुत परेशान रहते थे एक
दिन मेरे बाबा बोले "रुको देखे अब हम ऐसा कर देते है की वह इस हैंडिल पर नहीं
बैठ सकता" फिर आरम्भ हुआ उनका जुगाड़ तकनीक वह उसके ऊपर लोहे के तार को लपेट
कर उसमें कुछ हार्ड लोहा का तार को खड़ा कर के लगा दिए एक काँटा की तरह जिस पे कौआ
अब बैठ ही नही सकता था
यह बात मामूली है पर विचारणीय...
मेरे घर में कोई भी चीज ख़राब नहीं होता था
चाहे वह सिलाई मशीन हो,दीवाल घड़ी,साइकिल,मोटर साइकिल,पंखा सभी
को बाबा खुद से ठीक करते थे और आस परोस का भी.....
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इस कोशी ज़ोन में उनके जैसा डीजल इंजन का
विशेषज्ञ और कोई नही था
फतुहा ट्रैक्टर फैक्टरी में 6 साल के कार्यकाल
के दौरान कई यादें जुड़ी हैं कई बार इन्हें एक विशेषज्ञ के रूप में बाहर कई
ट्रैक्टर फैक्टरी जाने का मौका भी मिला था
आज पूर्णिया स्थित Brajesh
Automobiles और #VVIT के मालिक Ramesh
Mishra इसी फतुहा ट्रैक्टर फ़ैक्टरी से अपने उस समय के प्रसिद्ध #महालक्ष्मी_डिस्ट्रीब्यूटर में HMT ट्रैक्टर ला के बेचते थे मेरे बाबा एक-एक ट्रैक्टर को अच्छे से चेक कर के
देते थें ताकि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी ना हो समाज और गाँव के लोगों के लिए
हमेसा सबसे आगे रहते थे
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एक और कहानी....
बाबा को एक छोटा सा पेट्रोल इंजन कही से मिला
(जिसे अभी भी पीठ पे लगा के खेत मे दवा छिड़कते का कार्य होता है ) और इन्हें ज़िद
थी कि वह इसे साइकिल में लगाएंगे यह बात 1983,84 के आस पास की हैं फिर आरम्भ हुआ
इनका जुगाड़ तकनीक और हम तीनों भाई उनके इस जुगाड़ तकनीक के सहयोग में लग गए सिर्फ
20 दिन में वह दिन आ गया जब इस मधेपुरा में बिना पैडिल का साइकिल चला उस वक़्त इसे
देखनें के लिए लोगों की भीड़ लग जाती थी हम भाई इसे खूब चलाते थे गाँव जा के आम तक
लाते थे 1 लीटर पेट्रोल में 125 KM चला करता था...
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एक और कहानी ....
पंचगछिया में एक जगह बाबा को पता चला की यहाँ
एक HMT
का ट्रैक्टर बिक्री के लिए हैं मुझे बोले "चलो जाना है एक जगह
ट्रैक्टर देखने के लिए" और जब वहा गए तो देखता हूँ की वह ट्रैक्टर आधा ज़मीन
में धंसा हुआ था पता चला की कई साल एक जगह पे रखे-रखे आधा ज़मीन में धंस गया था
बहुत ही पुराना लगा मुझे लेकिन बाबा उसे चारों तरफ से अच्छे से देख रहे थे और फिर
मुझे बोले "ये ट्रैक्टर लिया जा सकता है" मैं बोला "बाबा ये जंग
लगा ट्रैक्टर किसी काम ले लायक नहीं है आप कैसे बोल रहे है इसे लिया जा सकता
है"
तो वह बोले " देखें इस के ब्रैक और क्लच
के पैडल को वह घिसा नहीं है इसका मतलब यह गाड़ी ज्यादा चला भी नहीं हैं अन्दर के कल
पुर्जा सब ठीक हैं "
और फिर वह बोले की "जो ऊपर से ख़राब दिखे
इसका मतलब ये नहीं की वह अन्दर से भी ख़राब हो किसी भी चीज को अच्छे से परखना बहुत
जरुरी है"
और फिर हमलोग वह ट्रैक्टर ले लिए.
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ऐसी बहुत सी यादें है मेरे बाबा की जो आज भी
हमलोगों का मार्गदर्शन करती है
यही DNA आज हम
तीनों भाई में है मैं और सबसे छोटा भाई टेक्नलॉजी और मझला डीज़ल इंजन लाइन में
अपने-अपने जिम्मेदारी निभा रहा है
अब पहले जैसा ना ही वह वक़्त है, ना ही वह भावना, ना ही वह बातें.....
लेकिन बाबा हमेसा मेरे पास है मेरे अन्दर हैं
आज भी मुझे सहारा देने के लिए रास्ता दिखाने
के लिए...
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