महाशिवरात्रि का महत्व क्यों
महाशिवरात्रि आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले
साधकों के लिए बहुत महत्व रखती है। यह उनके लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है जो
पारिवारिक परिस्थितियों में हैं और संसार की महत्वाकांक्षाओं में मग्न हैं।
पारिवारिक परिस्थितियों में मग्न लोग महाशिवरात्रि को शिव के विवाह के उत्सव की
तरह मनाते हैं। सांसारिक महत्वाकांक्षाओं में मग्न लोग महाशिवरात्रि को, शिव के द्वारा अपने शत्रुओं पर विजय पाने के दिवस के रूप में मनाते हैं।
परंतु, साधकों के लिए, यह वह दिन है,
जिस दिन वे कैलाश पर्वत के साथ एकात्म हो गए थे। वे एक पर्वत की
भाँति स्थिर व निश्चल हो गए थे। यौगिक परंपरा में, शिव को
किसी देवता की तरह नहीं पूजा जाता। उन्हें आदि गुरु माना जाता है, पहले गुरु, जिनसे ज्ञान उपजा। ध्यान की अनेक
सहस्राब्दियों के पश्चात्, एक दिन वे पूर्ण रूप से स्थिर हो
गए। वही दिन महाशिवरात्रि का था। उनके भीतर की सारी गतिविधियाँ शांत हुईं और वे
पूरी तरह से स्थिर हुए, इसलिए साधक महाशिवरात्रि को स्थिरता
की रात्रि के रूप में मनाते हैं।
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