प्रबल इच्छाशक्ति
बबलू और छोटू नाम के दो दोस्त एक गांव में
रहते थे बबलू 12 वर्ष और छोटू 7
वर्ष का था | वो दोनों एक साथ खेलते, खाते,
पढ़ते और एक ही साथ एक नदी में स्नान करते थे | दोनों दोस्त खेलते खेलते पास के ही गांव में चले जाया करते थे
एक दिन दोनों दोस्त पास के गांव में एक कुएँ
के पास खेल रहे थे| अचानक पता नहीं कैसे बबलू जो 12 वर्ष का था वो गलती से कुएँ में गिर गया अब उसके दोस्त छोटू कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो अपने मित्र बबलू
को कैसे कुएँ से बाहर निकाले,
कुएँ के काफी दूर दूर कोई दिखाई नहीं दे रहा
था जिससे वो सहायता मांग सके, लगभग दो मिनट तक सोचने
के बाद छोटू ने कुएँ के पास पड़ी बाल्टी जो रस्सी से बंधी थी उसको कुएँ में फेका
ओर अपने दोस्त बबलू से बाल्टी पकड़ने को
कहा |
और जैसे ही बबलू ने बाल्टी पकड़ी छोटू रस्सी
घसीटने लगा | छोटू 7 वर्ष का था
और बबलू 12 वर्ष का
इसलिए वो घसीट नहीं पर रहा था लेकिन आस पास कोई दिख भी नहीं रहा था की कोई उसे मदद
करें और तभी छोटू ने अपना हौसला बढ़ाया कि "मैं अपने दोस्त को कुएँ से
निकालकर रहूँगा...."
क्योंकी अगर ऐसा नहीं हुआ तो शायद वो अपना
दोस्त खो देगा फिर काफी मेहनत करने के बाद आखिर मोहन को छोटू ने कुएँ से बाहर
निकाल लिया.....|
और दोनों दोस्त एक दूसरे के गले मिलकर रोने
लगे दोनों ने सोचा कि अब घर जाकर बताएंगे तो बहुत डाँट पड़ेगी दोनों घर गए सारी
बातें बताई लेकिन उनकी बातो पर कोई भी विश्वास नहीं कर रहा था कि सात वर्ष का छोटू
बारह वर्ष के बबलू को कैसे बचा लिया तभी वही गांव के एक चाचा राम लाल आए दोनों
बच्चों ने अपनी बातें उन्हें बताई तभी लोगो ने चाचा से पूछा कि चाचा ये जो बता रहे
हमें तो समझ नहीं आ रहा आप ही बताईये तब चाचा बोले - ये जो कह रहे है ये सही तो है
छोटू के हौसले ने ये सब किया है और उस समय वहाँ छोटू से कोई कहने वाला कोई नहीं था
कि तुमसे यह नहीं हो सकता नहीं निकाल सकते हो अपने दोस्त को कुएं से.....
इसलिए उसने यह काम किया.....
एक प्रबल इच्छाशक्ति ने ये काम किया.
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