क्या अात्मविश्वास अहम से पैदा होता है
जीवन चलता रहता है और जीवन में घटने वाली सभी
घटना से लड़ने की शक्ति हमारें अन्दर ही मजूद हैं...
अपने जीवन में तरह-तरह के हालातों से निपटने
के लिए हमें विभिन्न तरह की पहचान की जरूरत होती है। अगर आप इस मामले में लचीले
हैं,
तो आप एक पहचान को सुंदरता से दूसरे में बदल सकते हैं..... तब आप अपना किरदार भरपूर निभा सकते हैं और आपको कोई दिक्कत नहीं होगी।
लेकिन अभी समस्या यह है कि आपने इससे इतनी गहरी पहचान बना ली है कि आप विश्वास
करने लगे हैं कि आप बस वही पहचान हैं। एक बार जब आप विश्वास करने लगते हैं कि ‘मैं परछाई हूं’ तो आप क्या करेंगे ? तब आप धरती पर बस रेंगेंगे। तब आपकी जिंदगी कैसी होगी? अगर फर्श पर कालीन बिछा हो, यानी बाहरी हालात मुलायम
घास जैसे हों, तो आप आराम से रेंगेंगे, लेकिन आनन्द में नहीं। मान लीजिए कि राह में कंकड-पत्थर और कांटे आ जाएं,
तो आप रोने लगेंगे। आपकी जिंदगी अभी इसी तरह से चल रही है, क्योकि आप धरती पर रेंग रहे हैं.....
अभी आपके जीवन का सारा-का-सारा अनुभव बस भौतिक
तक ही सीमित है। वह सब कुछ, जो आप अपनी पांच इंद्रियों के
जरिए से जानते हैं, सिर्फ भौतिक है। और भौतिक का खुद का कोई
उद्देश्य नहीं होता, क्योंकि यह बस फल के छिलके की तरह है....
फल के सिर्फ एक सुरक्षा-खोल की तरह इसका थोड़ा
सा काम है.... यह शरीर इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके भीतर कुछ और भी है। आपने उस ‘कुछ और’
को कभी अनुभव नहीं किया। अगर वह ‘कुछ और’
कल सुबह शरीर से निकल जाए, तो इस शरीर को कोई
छूना भी नहीं चाहेगा, जो एक लाश बन गया होगा। तो आज जब वह
शरीर में है, हमें उसका ध्यान रखना होता है। वही सब कुछ है....
अगर हम भौतिक की सीमाओं के परे नहीं जाते, अगर हम भौतिक के सीमित वजूद के परे नहीं जाते, तो हम
बस एक संघर्ष बनकर रह जाते हैं – कभी आत्मविश्वास और कभी
संकोच। अगर हालात अच्छे हो जाते हैं, तो आप आत्मविश्वास से
भर जाते हैं, अगर वो बिगड़ जाते हैं, तो
आप पीछे हट जाते हैं। आप तो हमेशा से जानते ही हैं, जो भी
हालात ठीक चल रहे हों, किसी भी पल, वे
बिगड़ सकते हैं। यह सिर्फ हालात बिगड़ने की ही बात नहीं है, जीवन
किसी भी क्षण कैसा भी मोड़ ले सकता है। किसी भी क्षण चीजें ऐसी हो सकती हैं,
जो आपको पसंद नहीं हो...और वह हो सकता है
जिसकी आप कल्पना भी नहीं किए...
अगर दुनिया में सब कुछ आपके खिलाफ चल रहा है, और आप अपने भीतर शांति से, उल्लास से, इस सब से अछूते, बिना प्रभावित हुए जीवन चला पाते
हैं, तभी आप जीवन को उसकी पूरी गहराई में जान सकते हैं। वरना
तो आप भौतिक के बस एक गुलाम होते हैं.....
0 comments