स्वामी विवेकानंद का कर्म योग और आज का इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी

by - 8:53 PM

स्वामी विवेकानंद भारतभूमि पर जन्में महान संतों में से एक है जिन्होंने न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया का मार्गदर्शन किया. शिकागो में उनके द्वारा दिए गए महान भाषण की प्रति​ध्वनी आज तक उस भूमि पर गूंज रही है. सिर्फ एक भाषण ने उस धर्म संसद में एक युवा सन्यासी को जन—जन का प्यारा बना दिया. विवेकानंद ने अपने विचारों से युवाओं को प्रेरित किया. 

कर्मयोग पर उनकी पुस्तक को पूरी दुनिया में पढ़ा और सुना जाता है. बहुत बड़ा वर्ग आज रामकृष्ण मिशन के माध्यम से उनके विचारों को समझता है और उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करता है.


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पर आज इस इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में हम इन्हे भूल से गए अब कौन किताबें पड़ता है आज का तो वक़्त सिर्फ मोबाइल और कंप्यूटर पे ही निकल जाता है 

पर मेरा मानना है की आज भी हमें वक़्त निकाल के कुछ पुस्तक उन महान लेखकों का पड़ता चाहिए.....

कुछ अंश कर्म योग से...

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कर्म योग की उपमा विवेकानन्द दीपक से देते हैं। जिस प्रकार दीपक का जलना एवं या उसके द्वारा प्रकाश का कर्म होना उसमें तेल, बाती तथा मिट्टी के विशिष्ट आकार - इन सभी के विशिष्ट सामूहिक भूमिका के द्वारा संभव होता है। उसी प्रकार समस्त गुणों की सामूहिक भूमिका से कर्म उत्पन्न होते हैं।

फलों की सृष्टि भी गुणों का कर्म है न कि आत्म का । इसी का ज्ञान वस्तुतः कर्म के रहस्य का ज्ञान है, इसे ही आत्म ज्ञान भी कहा गया है। तात्पर्य यह भी है कि संस्कार वशात् उत्तम-अनुत्तम कर्म में स्वतः ही प्रवृत्ति होती है, तथा संस्कारों के शमन होने पर स्वंय ही कर्मों से निवृत्ति भी हो जाती है, ऐसा जानना विवेक ज्ञान भी कहा गया है। ऐसे ज्ञान होने पर ही अनासक्त भाव से कर्म होने लगते हैं, इन अनासक्त कर्मों को ही निष्काम कर्म कहा गया है। इस निष्काम कर्म के द्वारा पुनः कर्मों के परिणाम उत्पन्न नहीं होते। यही आत्म ज्ञान की स्थिति कही गयी है। इससे ही संयोग करने वाला मार्ग “कर्मयोग” कहा गया है। (क्योंकि यह कर्म के वास्तविक स्वरूप से योग करता है।)

स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती पर उनको शत्-शत् नमन....

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