कल ही एक तुम्हारी पुरानी तस्वीर देखी थी मैंने अपने लैपटॉप में आज जब तेरे सामने से तुझे देखा तो सोचा कितना बदल जाता है चेहरा और चेहरे के पीछे वह चेहरा गुजर गए मेरे पास से मेरे सामने से पलट के देखे भी नहीं तेरी अनगिनत यादें आज भी मेरे हर एहसास में जिंदा है. By Hemant Sarkar
15 देश जहाँ Internet की
स्पीड सबसे ज्यादा है – भारत टॉप 50
में भी नहीं
भारत में औसतमइंटरनेट स्पीड 2 MBप्रति सेकेंड है ... जो की भारत
की अतीत के इंटरनेट की तुलना में काफी बेहतर है ....
15. नॉर्वे
नॉर्वे में औसतमइंटरनेट स्पीड 11.4 MBप्रति सेकंड है।
14. इजराइल
इज़राइल में औसतमइंटरनेट स्पीड 11.4 MBप्रति सेकेंड है |
13. बेल्जियम
बेल्जियम में औसतम इंटरनेट स्पीड 11.4
MB प्रति सेकंड है |
12. अमेरिका
अमेरिकामें औसतमइंटरनेट स्पीड 11.5
MBप्रति सेकेंड है |
11. फ़िनलैंड
फिनलैंड की औसतमइंटरनेट स्पीड11.7
MB प्रति सेकंडहै, जो एक साल पहले की तुलना में 20% ज्यादा है |
10. सिंगापुर
सिंगापुर सबसे तेज़इंटरनेट स्पीड की सूची में 10 वें स्थान पर है, जिसकी औसतम इंटरनेट की स्पीड12.2 MBप्रति सेकेंड है |
9. चेक रिपब्लिक
चेक रिपब्लिकमें औसतम इंटरनेटकी स्पीड12.3 MBप्रति सेकंड है।
8. लैटविया
लैटविया कीइंटरनेट की स्पीडअमेरिका से भी
तेज़ है ,
जिसकी औसतम इंटरनेट की स्पीड 13 MB प्रति
सेकंड है |
7. आयरलैंड
13.9 MB प्रति सेकंड की स्पीडके साथ आयरलैंड सबसे तेज इंटरनेट स्पीड में
मामले 7वें स्थान पर है।
6. निदरलैंड
निदरलैंड की इन्टरनेट की स्पीड 14
MB प्रति सेकंड है |
5. स्वीडन
स्वीडन मेंऔसतम14.1
MB प्रति सेकंड की स्पीड है, जो इंटरनेट स्पीड
के मामले में उन्हें पांचवासबसे तेज देश
बनाती है।
4. स्विट्ज़रलैंड
स्विट्जरलैंड रहने के लिएसबसे बढ़िया देशोमें से एक है | स्विट्ज़रलैंड
की औसतमइंटरनेट की स्पीड14.5 मेगाबिट्स प्रति
सेकेंड है।
3. जापान
जापान दुनिया का इलेक्ट्रॉनिक का केंद्र है, और उन्हें एक तेज़ इंटरनेट की आवश्यकता है | जापान
वर्तमान में 15 MB प्रति सेकंडके औसतमकनेक्शन के साथ दुनिया में तीसरा सबसे तेज इंटरनेट स्पीड वाला देश है।
2. हांगकांग
हांगकांग में इन्टरनेट की औसतम स्पीड 16.3
MB प्रति सेकंड है |
1. दक्षिण कोरिया
जब एक तेज़ इंटरनेट कनेक्शन की बात आती है तो
दक्षिण कोरिया दुनिया में नंबर एक पर है। 25.3 MB प्रति
सेकंडकी औसतमगति के साथ दक्षिण कोरियादुनिया के बाकी देशोकी तुलना में बहुत आगे हैं
जितनी ज्यादा बैंडविथ होगी, उतना ज्यादा तेजी से
अधिक डेटा ट्रांसफर किया जा सकेगा। यानी तेज स्पीड से। इस डेटा को बिट्स में नापा
जाता है। जिस दर से डेटा ट्रांसफर किया गया है, उसे बिट्स
प्रति सेकंड के हिसाब से नापते हैं। एक किलोबिट यानी 1000 बिट्स और मेगाबिट्स
अर्थात 1000 किलोबिट। इसलिए एक मेगाबिट यानी दस लाख बिट्स। यह दर जितनी अधिक होगी,
उतनी ही इंटरनेट स्पीड तेज होगी। हाई बैंडविथ का अर्थ है 2 से 4
एमबीपीएस की दर से डेटा ट्रांसफर करना। 4 जी (फोर्थ जनरेशन) बैंडविथ जाहिर है,
3 जी से ज्यादा तेज है, लेकिन यह देश में कुछ
स्थानों पर ही उपलब्ध है। सामान्यत: ब्राउज़िंग के लिए 2एमबीपीएस की बैंडविथ
पर्याप्त मानी जाती है।
कई यूजर्स सोचते हैं कि वेब पर उनकी
दिन-प्रतिदिन एक्टिविटीज को हैंडल करने के लिए उनका कनेक्शन पर्याप्त फास्ट होना
चाहिए।
इसके लिए नीचे विभिन्न टास्क के लिए आवश्यक
स्पीड के कुछ उदाहरण दिए गए हैं
ऑनलाइन गेमिंग – 15
और 20 Mbps के बीच
स्टैण्डर्ड वीडियो स्ट्रीमिंग – 2 और 3 Mbps के बीच
720p के हाई
डेफिनेशन वीडियो स्ट्रीमिंग –3 और 5 Mbps के बीच
1080p के हाई
डेफिनेशन वीडियो स्ट्रीमिंग – 4 और 8 Mbps के बीच
4k अल्ट्रा हाई
डेफिनेशन वीडियो स्ट्रीमिंग – 11 और 15 Mbps के बीच
स्ट्रीमिंग म्यूजिक – 1 और 2 Mbps के बीच
इंटरनेट की स्पीड टेस्ट करना यह एक मात्र
रास्ता हैं, जो यह साबित कर सकता हैं कि आप अपने
आईएसपी को जिस बैंडविड्थ के लिए क़ीमत दे रहे हैं वह असल में उतनी हैं या नहीं....हमारा
स्पीड तभी फ़ास्ट होगा जब ISP अपने बैंडविड्थ को बढ़ाएगा....
एक उदहारण एक भूखा के लिए 5,6 रोटी काफी है लेकिन उसी को अगर 5,6 लोगों के बिच बाँट दिया जाए तो क्या होगा...समझ सकते है....
अब आप खुद ही समझ गए होंगे की कौन सा ISP
आपके कम नेट स्पीड दे रहा हैं...
हाइपरलूप टेक्नोलॉजी परिवहन तकनीक का नया नाम जिसने,दुनिया
की दूसरी बड़ी आबादी वाले देश भारत में बुलेट ट्रेन को जमीन पर उतारने का ख्वाब
हकीकत की ओर बढ़ रहा है, लेकिन भविष्य में देश की जमीन
पर ‘हाइपरलूप नाम’ की सुपर ट्रेन भी
दौड़ सकती है। इसकी रफ्तार 1,223 किलोमीटर प्रति घंटा है।
अब ये जान लीजिए कि हाइपरलूप आखिर है क्या? हाइपरलूप सुरंग में दौड़ने वाला एक कैप्सूल है जो इलेक्ट्रो मैगनेटिक
फील्ड पर हवा में तैरता हुआ चलता है, और इसकी रफ्तार है।
1,223 किलोमीटर प्रति घंटा यानी आवाज़ की रफ्तार के करीब।
अगर हाइपरलूप भारत में दौड़ती है तो
ट्रांसपोर्टेशन की तस्वीर ही बदल जाएगी। कई दिनों का थका देने वाला सफर महज घंटों
में खत्म हो जाएगा। और आप सुपरसोनिक स्पीड पर आरामदेह सफर का मजा ले सकेंगे। हाइपरलूप
ट्रेन के सपना साकार हुआ तो शहरों के बीच की दूरी घटकर मिनटों और घंटों में तब्दील
हो जाएगी।
माना की दिल्ली से मुंबई के बीच की दूरी एक हजार चार
सौ पंद्रह किलोमीटर है। दिल्ली से ट्रेन के जरिए मुंबई जाने में 22 से 24 घंटे
लगते हैं,
कार से जाने में 22 से 24 घंटे लगते हैं, अगर
हवाई जहाज से जाएं तो 2 घंटे 15 मिनट लगते हैं। लेकिन अगर हाइपरलूप ट्रेन में सवार
हुए तो महज 40 मिनट में दिल्ली से मुंबई का सफर पूरा होगा
हाइपरलूप जमीन पर, जमीन के नीचे और जमीन से ऊपर कहीं भी दौड़ाई जा सकती है। हाइपरलूप ट्रेन
पटरियों पर नहीं दौड़ती बल्कि हवा में चलती है। इसमें पहिए भी नहीं है। इसके पीछे
लैविटेशन का सिद्धांत काम करता है। ट्रेन बनाने वाली कंपनी का दावा है कि इसमें
सफर तेज ही नहीं बल्कि सुरक्षित भी होगा। ये ट्रेन असल में एक कैप्सूल है जो
वैक्यूम सुरंगों में दौड़ेगी।
आवाज की रफ्तार से बराबरी की कोशिश है।
हाइपरलूप का मकसद सिर्फ जबरदस्त रफ़्तार ही नहीं बल्कि आपके सफ़र को एक सुकून भरा
अनुभव बनाना भी है। इसके अंदर का माहौल बिल्कुल हवाई जहाज़ जैसा है। सीटें भी हवाई
जहाज़ जैसी आरामदायक हैं
इम ट्रेन में दो ट्यूब होंगे जिसमें हवा
बिल्कुल न के बराबर होगी यानि हवा का दवाब शून्य। ट्रेन के आगे लगा ये पंखा हवा को
पीछे धकेलेगा, ठीक इसी तरह एक पंखा ट्रेन के पीछे भी लगा
है जो हवा को चारों ओर फैला देगा। इस तरह ट्रेन के नीचे एयर कुशन बन जाएंगे जिससे
लैविटेशन पैदा होगा। ट्रेन बिना किसी ऊर्जा के आसानी से हवा में तैर पाएगी और इसी
से ट्रेन को हासिल होगी एक स्थिर और लाजवाब गति.....