मत बेचना,मत बेचना कुछ बचा के रखना
सब बेच मत देना
अपनी ज़मीर को भी बेच मत
देना
वर्ना टूट जाएगी हर वह
उमीद उस झोपड़ी में,
कुछ बचा के रखना
आने वाले उन गरीब लाचार के
लिए भी
जिसके आँख में अभी एक छोटी
सी उमीद है
उस कल के लिए ,
आज भूख से तो मर रहे है
उनके बच्चे
कल सब ठीक हो जायेगा
इस उमीद को मत बेचना,
मत बेचना उस प्लेटफार्म को
जहां वह अपने बच्चे को
ट्रेन दिखाने ले जाते,
सरहद से आया है आज उसका
बेटा उसके गाँव
उस गाँव के मिट्टी को मत
बेचना,
मत बेचना उन शहर को
जिस शहर की सड़कों पे वह
मजदूरी कर के
इस देश को एक प्रशासनिक
अधिकारी दिए....
उस गरीब के हँसी को मत बेचना
मत बेचना,मत बेचना
कुछ बचा के रखना
उस कल के लिए
मत बेचना,मत बेचना
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