रामायण बनने की कहानी
रामायण बनने की कहानी
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78-कड़ियों के इस धारावाहिक का
मूल प्रसारण 25 जनवरी, 1987 दूरदर्शन
पर किया गया था
28 मार्च 2020 से दूरदर्शन चैनल
पर रामायण कार्यक्रम का पुनः प्रसारण हुआ है.....
उस वक़्त के सरकार को पसंद नहीं
आया ‘रामायण’ का कॉन्सेप्ट
‘रामायण’ और ‘महाभारत’ को दूरदर्शन यानी
टीवी पर लाने को लेकर सरकार श्योर नहीं थी. लेकिन डीडी के अधिकारियों ने अपने तर्क
रखे. उन्होंने कहा कि ये सीरियल हमारे आधिकारिक सांस्कृतिक महाकाव्य पर आधारित है.
जिसका धार्मिक होना जरूरी नहीं. खुद वाल्मिकी ने ‘रामायण’
में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का वर्णन एक इंसान के तौर पर किया है. ‘रामायण’ टेलीकास्ट होना शुरू हुआ. लेकिन इसके बाद भी
कई दिक्कते आईं....
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सब कुछ ठीक लग रहा था, लेकिन दिल्ली के गलियारों से एक तूफान चला आ रहा
था. कांग्रेस पार्टी में कई सत्ताधारियों को लग रहा था कि ‘रामायण’
का दूरदर्शन पर प्रसारण उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है. ज़ाहिर है,
सूचना एवं प्रसारण मंत्री बीएन गाडगिल की तरफ से एक बड़ी आपत्ति आई.
उन्हें लगा कि हिंदू पौराणिक धारावाहिक हिंदू शक्ति को जन्म देगा, जिससे भाजपा का वोट बैंक बढ़ सकता है. उन्हें डर था कि ‘रामायण’ हिंदूओं में गर्व की भावना पैदा करके भाजपा
की सत्ता में आने की संभावनाएं बढ़ाएगा. दूसरी ओर, सुनने में
ये आ रहा था कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने खुद डीडी के अधिकारियों सुझाव दिया है
कि ‘रामायण’ और ‘महाभारत’
जैसे महान भारतीय महाकाव्यों का प्रसारण किया जाए क्योंकि ये
महाकाव्य हमारी सांस्कृतिक विरासत थे, जिन्हें महिमामंडित
करके दिखाया जाना चाहिए....
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जब मंडी हाउस के चक्कर
लगाते-लगाते रामानंद सागर की चप्पलें घिस गईं
फिर आखिर में सूचना एवं प्रसारण
मंत्री अजीत कुमार पंजा सर के प्रयास से उन्हें इसका प्रसारण का अधिकार मिला..
दुनिया में हो रहा है.
घर के बाहर कदन उठाने से पहले ,रुकिए, सोचिए और लौट जाइए।
दुनिया में हो रहा है.
घर के बाहर कदन उठाने से पहले ,रुकिए, सोचिए और लौट जाइए।
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