स्टीफन हॉकिंग और ब्लैक होल
Black Hole & Stephen Hawking
स्टीफन हॉकिंग ने ब्लैक होल के बिषय में जो
जानकारी दिए वह हमलोगों के किये बहुत बड़ी उपलब्धि में एक है आज जाने कुछ इनके बिषय
में....
ब्लैक होल स्पेस में वो जगह है जहाँ भौतिक
विज्ञान का कोई नियम काम नहीं करता. इसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र बहुत शक्तिशाली
होता है.
इसके खिंचाव से कुछ भी नहीं बच सकता. प्रकाश
भी यहां प्रवेश करने के बाद बाहर नहीं निकल पाता है. यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे
प्रकाश को अवशोषित कर लेता है.
गैलक्सी बहुत बड़ी है इसका अंतिम सिरा कहा तक
है इसका कोई अस्तित्व नहीं हैं , अतः गैलेक्सी (ब्रह्मण्ड
) में बहुत से पिंड (तारे, गृह पत्थर आदि ) बिखरे होते हैं,
गैलेक्सी की सरचना लगभग परमाणुओं जैसी होती हैं (परमाणु क्या होते
है) उनके बीच टक्क्र होती हैं तो इस कारण गैलक्सी में पिण्डो के मध्य नाभिकीय सलयन
(Nuclear Fusion ) होता
हैं , नाभिकीय संलयन से निकली हुई ऊर्जा के कारण ही तारा
गुरुत्वाकर्षण से संतुलन में रहता हैं , इसलिए जब तारो में
मौजूद हाइड्रोजन ख़त्म हो जाती हैं तो वह तारा धीरे - धीरे ठंडा होने लगता हैं फिर
अपने ईंधन को समाप्त कर चुके शौर्य द्रव्यमान से 1.5 गुना
द्रव्यमान वाले तारे जो वे अपने ही खुद के गुरुत्वाकर्षण के विपरीत खुद को संभाल
नहीं सकते हैं। इस तरह की स्थति में इस
तारो या पिंडो के अंदर एक विस्फोट होता हैं, जिसे सुपरनोवा (supernova
) कहते हैं।
इस विस्फोट के पछ्चात यदि उस पिंड का कोई
घनत्व वाला अवशेष रहता है तो वह बहुत खतरनाक घनत्व युक्त न्यूट्रॉन तारा बन जाता
हैं (Neutron
Star ) बन जाता हैं ,ऐसे तारों में बहुत
ज्यादा गुरुत्वीय खिचाव होने के वजह से पिंड में संकुचन (compress ) होने लगता हैं, संकुचन होने के साथ-साथ आखिर में एक
निश्चित क्रांतिक सीमा तक संकुचन हो जाता हैं तथा इस तरह के संकुचन के वजह से उस
पिंड का आयतन या (volume ) और समय भी विकृत (deform)हो जाता हैं और अपने में ही आयतन और टाइम का अतित्व मिट जाने के कारण वह
अदृश्य हो जाता हैं तथा यह वही अदृश्य पिंड हैं जिनको हम ब्लैक होल कहते हैं...
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