रवींद्रनाथ टैगोर
रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म देवेन्द्रनाथ टैगोर
और शारदा देवी के सन्तान के रूप में 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको
ठाकुरबाड़ी में हुआ था...
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन से जुड़ी
एक खास घटना है.... टैगोर ने ढेर सारी कविताएं लिखी हैं। वह अकसर दैवीयता/दिव्यता, अस्तित्व, कुदरत व सौंदर्य सहित तमाम चीजों के बारे
में बहुत कुछ कहते, जबकि खुद उन्हें इस चीज को कहीं कोई
अनुभव नहीं था। वहीं पास में एक बुजर्ग व्यक्ति रहा करते थे, जो खुद एक सिद्ध व्यक्ति थे। यह बुजुर्ग दूर से कहीं उनके रिश्ते में भी
लगते थे। जब भी टैगोर कहीं भाशण या व्याख्यान देने जाते तो यह बुजुर्ग सज्जन भी
वहां पहुंच जाते और उन्हें देखते रहते। जब भी रवींद्रनाथ उनकी तरफ देखते तो वह
अचानक असहज हो जाते।
दरअसल, वह बुजुर्ग
को मौका मिलते ही टैगोर से सवाल करने लगते कि तुम इतना सत्य के बारे में बात करते
हो, लेकिन क्या सचमुच तुम इसके बारे में जानते हो? टैगोर को पक्के तौर पर यह नहीं पता था कि वह बुजुर्ग जानते हैं कि उन्हें
इस बारे में कुछ पता नहीं है। हालांकि, टैगोर इतने महान लेखक
थे कि जब आप उनकी कविता पढ़ते हैं तो कहीं से भी यह नहीं लगता कि वह बिना अनुभव या
बिना जानें उन्होंने ऐसी चीजें लिखी होंगी, लेकिन वह बुजुर्ग
फिर भी उनसे इसे लेकर लगातार सवाल करते रहते। इसलिए जब भी गुरुदेव की नजरें उनसे
मिलती, वह सकपका उठते। हालांकि धीरे-धीरे उनके भीतर भी इसे
लेकर एक खोज जारी हो चुकी थी कि आखिर वो क्या है, जिसके बारे
में मैं बात तो करता हूं, लेकिन उसे जानता नहीं हूं।
एक दिन बारिश हुई और फिर रुक गई। टैगोर को
हमेशा नदी के किनारे सूर्यास्त देखना बहुत अच्छा लगता था। तो उस दिन भी टैगोर
सूर्यास्त देखने के लिए नदी के किनारे की ओर चले जा रहे थे। रास्ते में ढेर सारे
गढ्ढे थे,
जो पानी से भरे थे। टैगोर उन गढ्ढों से बचते हुए सूखी जगह तलाशते
हुए आगे बढ़ रहे थे। तभी उनकी नजर रास्ते के पानी भरे एक गढ्ढे में पड़ी, जहां प्रकृति का पूरा प्रतिबिम्ब उस सड़क के गढ्ढे में झलक रहा था।
उन्होंने उसे देखा और अचानक उनके भीतर कुछ
बहुत बड़ी चीज घटित हो उठी। उसके बाद वह वहां से सीधे उस बुजुर्ग के घर गए और जाकर
उनका दरवाजा खटखटाने लगे। बुजुर्ग ने दरवाजा खोला व एक नजर टैगोर को देखा और फिर
बोले,
‘अब तुम जा सकते हो। क्योंकि तुम सच जान चुके हो। यह तुम्हारी आंखों
में साफ दिखाई दे रहा है।’
इस तरह से हम जीवन की हर छोटी से छोटी चीज में
सत्य व दिव्यता की झलक पा सकते हैं।
#sadhguru
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