युधिष्ठिर धर्म संकट में-1
श्री कृष्ण बोले आप धर्मराज है ना आपको स्वतः
पता चल जाएगा...
तभी उस भेड़ ने जोड़ से युधिष्ठिर को धक्का दे
दिया और वह ज़मीन पे गिर पड़े कई जगह उन्हें चोट भी आई श्री कृष्ण ये देख मुस्कुरा
रहे थे....
तभी युधिष्ठिर उठे और बोले "तुमको मैंने ही आज़ाद किया और तुम मुझ पे ही हमला कर दिए ये कैसा न्याय
है....अपना परिचय दो......"
तभी भेड़ ने कहा महाराज मै "कलयुग"
हूँ...और आपके ही हाथों मेरा आरम्भ लिखा था...."
युधिष्ठिर धर्म संकट में पड़ गए....और उन्होंने
एक निर्णय लिया और उस कलयुग को बोला की "जब तक मै हूँ तब तक तुम्हारा
साम्राज्य नहीं हो सकता परन्तु आज से तुम मेरे पौत्र परीक्षित के मुकुट में आश्रय
होगा और जिस दिन परीक्षित कोई गलती करेगा लोभ-लालच,इर्ष्या क्रोध .....आ जाएगी उस
दिन से तुम्हारा युग आरम्भ हो जाएगा..."
कलयुग लगभग 32 वर्षों
से प्रतीक्षा कर रहा था कि परीक्षित कोई गलती करें और फिर वो आगे बढ़े ... एक दिन
परीक्षित रात्रि में सोचने लगे कि पूर्वज मेरे लिए क्या छोड़ कर गये हैं .....
क्रमश.....
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