युधिष्ठिर धर्म संकट में-2

by - 11:34 AM


कलयुग 32 वर्षों से प्रतीक्षा कर रहा था कि परीक्षित कोई गलती करें और फिर वो आगे    बढ़े ... एक दिन परीक्षित रात्रि में सोचने लगे   कि पूर्वज मेरे लिए क्या छोड़ कर गये हैं ... ऐसा सोचना ही पतन की शुरुआत होती है, क्योंकि    पूर्वज अदृश्य और अपरोक्ष रूप से ऐसा बहुत देकर जाते हैं, जो जीवन भर साथ रहता है, लेकिन उसकी अनुभूति नहीं होती ... विचार आते ही परीक्षित खंगालने लगे ... एक विशाल कमरे में युद्ध में मारे गये राजाओं के कवच-मुकुट वगैरह रखे थे, उनमें से जरासंध के मुकुट ने परीक्षित को प्रभावित किया, जिसे उन्होंने पहन लिया ... मुकुट के धारण करते ही पहला विचार शिकार करने का आया ... जिस ब्रह्म-मूत्र में परीक्षित भजन कर दान-पुण्य करते थे, उसमें वे आज आखेट करने निकल गये ...
उस मुकुट के कारण ही वह प्रभावित हो गये और अंत में कलयुग को रहने की सशर्त अनुमति दे दी ... अनुमति मिलते ही कलयुग मुकुट के माध्यम से मन-मस्तिष्क
और आत्मा तक में घुस गया और फिर जिन संतों को देखते ही परीक्षित दंडवत करते थे,
ऐसे समाधिरत संत से बोले कि जल लाओ ... नहीं सुना...तो क़त्ल कर दिए...
                            कलयुग ने 32 वर्ष परीक्षित से गलती होने की प्रतीक्षा की, क्योंकि प्रजा राजा की अनुयायी होती है, वह चाहते और न चाहते हुए भी उसी मार्ग पर चलने लगती है ...     राजा में कलयुग का पूर्ण वास होता है... नेता हो,मंत्री हो,पूर्वजों से मिले संपत्ति  हो,उसे मिलते ही कलयुग की चपेट में आ जाते हैं ... कलयुग पांच स्थानों पर रहता है ... कलयुग ने पाँचों स्थान लगभग हर घर में ही बना लिए हैं ... पहला स्थान- हिंसा ... स्वयं अपनी-अपनी तुलना कर सकते हैं ...
जैसे सांप आपने सामने आ जाए ,तो पहला विचार क्या आता है मन में उसे मार दो....जबकि उसे वहा से हटा भी सकते है ... द्वार पर कुत्ता आ जाता है, तो पहला विचार क्या आता है ... किचन में कोई कीड़ा दिखते ही पहला विचार क्या आता है ... हिट लगभग ज्यादातर घरों में होगा,
मतलब कलयुग के कारण अधिकांश लोग स्वाभाव से हिंसक हो गये हैं ... ऐसा ही हाल बाकी चार स्थानों का है, वे भी प्रत्येक मानव के जीवन का अंग बन गये हैं ...
आज हम,आप,सभी इससे प्रभावित है......
इससे सिर्फ विचार बचा सकते हैं और विचार का जन्म होता है आपके आत्मा से......I


#भाव_आर्थ-इस कलयुग में हमें जीना तो है पर संयम के साथ....
                                                                                            

You May Also Like

0 comments

..