चले इनके साथ भी मानऐ हम होली
गरीबों के घर होली नहीं होते
पुआ और पुरी.... अच्छे पकवान नहीं बनते
यहाँ के मिट्टी को रंग समझ के उसी में ख़ुश हो
कर खेलते
अमीरों के घर का बचा वह पकवान
दूसरें दिन इन लोगों के लिए होली होते
खूब खाते और अमीरों के बच्चे के टूटे पिचकारी
में पानी भर के कुछ खेलते...
हा गरीबों के घर होली नहीं होते....
चले इनके साथ भी मानऐ हम होली.....
और साथ बोले हैप्पी होली.... हैप्पी होली....
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