उपकार

by - 12:31 AM

जंगल में शेर शेरनी शिकार के लिये दूर तक गये अपने बच्चों को अकेला छोडकर, जब देर तक नही लौटे तो बच्चे भूख से छटपटाने लगे। उसी समय एक बकरी आई उसे उन बच्चो पर दया आई और उन बच्चों को दूध पिलाया फिर बच्चे मस्ती करने लगे।

तभी शेर शेरनी आये, वो बकरी को देखकर लाल पीले होकर हमला करते है, तभी उनके बच्चों ने कहा कि इसने हमें दूध पिलाकर बड़ा उपकार किया है नही तो हम मर जाते।

अब शेर खुश हुआ और कृतज्ञता के भाव से बोला हम तुम्हारा उपकार कभी नही भूलेंगे, जाओ आजादी के साथ जंगल मे घूमो फिरो मौज करो। अब बकरी जंगल में निर्भयता के साथ रहने लगी यहाँ तक कि कभी कभी शेर के पीठ पर बैठकर भी पेडो के पत्ते खाती थी।

यह दृश्य चील ने देखा तो हैरानी से बकरी को पूछा तब उसे पता चला कि उपकार का कितना महत्व है। चील ने सोचा कि एक प्रयोग मैं भी करती हूँ, 
एकबार चूहों के छोटे छोटे बच्चे दलदल मे फंसे थे निकलने का प्रयास कर रहे थे, चील ने उनको पकड पकड कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। बच्चे भीगे थे सर्दी से कांप रहे थे तब चील ने अपने पंखों में छुपाया, बच्चों को बेहद राहत मिली।

काफी समय बाद चील उडकर जाने लगी तो हैरान हो उठी चूहों के बच्चों ने उसके पंख कुतर डाले थे। चील ने यह घटना बकरी को सुनाई तुमने भी उपकार किया और मैंने भी फिर यह फल अलग क्यों?

बकरी हंसी, फिर गंभीरता से कहा....
उपकार करो, तो शेरों पर करो चूहों पर नही। क्योंकि कायर कभी उपकार को याद नही रखते और बहादुर कभी उपकार भूलते नही...!!!

*आज भी कुछ ऐसे लोग हैं*

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