नियत बहुत क्रूर होती है

by - 10:27 PM

     

18 दिन के युद्ध ने, द्रोपदी की उम्र को 

80 वर्ष जैसा कर दिया था... शारीरिक रूप से भी और मानसिक रूप से भी !

शहर में चारों तरफ विधवाओं का बाहुल्य था.. पुरुष इक्का-दुक्का ही दिखाई पड़ता था अनाथ बच्चे घूमते दिखाई पड़ते थे और, उन सबकी वह महारानी द्रौपदी हस्तिनापुर के महल में निश्चेष्ट बैठी हुई शून्य को ताक रही थी ।

तभी, *श्रीकृष्ण* कक्ष में दाखिल होते है !

द्रौपदी कृष्ण को देखते ही दौड़कर उनसे लिपट जाती है ... कृष्ण उसके सर को सहलाते रहते हैं और रोने देते हैं !

थोड़ी देर में, उसे खुद से अलग करके समीप के पलंग पर बिठा देते हैं ।

द्रोपती : यह क्या हो गया *सखा* ??

ऐसा तो मैंने नहीं सोचा था ।

*कृष्ण* : नियति बहुत क्रूर होती है पांचाली..

वह हमारे सोचने के अनुरूप नहीं चलती !

हमारे कर्मों को परिणामों में बदल देती है..

तुम प्रतिशोध लेना चाहती थी और, तुम सफल हुई, द्रौपदी !

तुम्हारा प्रतिशोध पूरा हुआ... सिर्फ दुर्योधन और दुशासन ही नहीं, सारे कौरव समाप्त हो गए !

तुम्हें तो प्रसन्न होना चाहिए !

*द्रोपती*: सखा, तुम मेरे घावों को सहलाने आए हो या, उन पर नमक छिड़कने के लिए ?

*कृष्ण* : नहीं द्रौपदी, मैं तो तुम्हें वास्तविकता से अवगत कराने के लिए आया हूं । 

हमारे कर्मों के परिणाम को हम, दूर तक नहीं देख पाते हैं और जब वे समक्ष होते हैं.. तो, हमारे हाथ मे कुछ नहीं रहता ।

*द्रोपती* : तो क्या, इस युद्ध के लिए पूर्ण रूप से मैं ही उत्तरदाई हूं कृष्ण ?

*कृष्ण* : नहीं द्रौपदी तुम स्वयं को इतना महत्वपूर्ण मत समझो...

लेकिन, तुम अपने कर्मों में थोड़ी सी भी दूरदर्शिता रखती तो, स्वयं इतना कष्ट कभी नहीं पाती।

*द्रोपती* : मैं क्या कर सकती थी कृष्ण ?

*कृष्ण*:- जब तुम्हारा स्वयंबर हुआ... 

तब तुम कर्ण को अपमानित नहीं करती 

और उसे प्रतियोगिता में भाग लेने का 

एक अवसर देती तो, शायद परिणाम 

कुछ और होते !

इसके बाद जब कुंती ने तुम्हें पांच पतियों की पत्नी बनने का आदेश दिया...

तब तुम उसे स्वीकार नहीं करती 

तो भी, परिणाम कुछ और होते । 

और 

उसके बाद तुमने अपने महल में दुर्योधन को अपमानित किया... वह नहीं करती तो, तुम्हारा चीर हरण नहीं होता... तब भी शायद, परिस्थितियां कुछ और होती ।

*हमारे शब्द* भी हमारे *कर्म* होते हैं द्रोपदी...

और, हमें अपने हर शब्द को बोलने से पहले तोलना बहुत जरूरी होता है... अन्यथा, उसके *दुष्परिणाम* सिर्फ स्वयं को ही नहीं... अपने पूरे परिवेश को दुखी करते रहते हैं ।

संसार में केवल मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है... जिसका *" जहर "* उसके *" दांतों "* में नही, *"शब्दों "* में है...

इसलिए शब्दों का प्रयोग सोच समझकर करिये। 

ऐसे शब्द का प्रयोग करिये... जिससे, किसी की भावना को ठेस ना पहुंचे।

You May Also Like

0 comments

..