सत्य का जन्म व्यक्तित्व के अंतरात्मा से होती है
सत्य का जन्म व्यक्तित्व के अंतरात्मा से होती है
झूठ खा जन्म ईष्या से होती है
इल्जाम का जन्म उसकी सोच से होती है
हमारा परिवेश हमारा समाज है
जिसके पास सिर्फ सिर्फ कान है
आँख नहीं है
हम सिर्फ अपने कानो पे भरोसा करते हैं
अपनी आँखों को बंद कर
कान देख नहीं नहीं सकता
और प्रमाणित भी नहीं कर सकता
वह सिर्फ सुन के इल्जाम लगा सकता है
सत्य को स्वीकार करना हर इंसान के बश में नहीं.......
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