प्रेम की सुगंध

by - 11:23 AM

आज शरद पूर्णिमा के दिन..मेरा मन फिर कुछ लिखने को मचल उठा...।

मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि.. प्रेम में आत्मीयता के साथ साथ सुगंध का भी समावेश है... और जब प्रेम भी हो और सुगंध भी तो फिर क्या कहने... हमें ऐसा लगेगा कि हमने सब कुछ पा लिया..शायद यही प्रेम की सम्पूर्णता है..।

प्रेम और सुगंध हमारी मानसिकता में रचा बसा है जिससे ना जाने कितने परफ्यूम्स का अविष्कार हो गया..और जब हम प्रेम में होते हैं तो सुगंध की भी तलाश होती है ...।



प्रेम स्वयं में सम्पूर्ण है... प्रेम ही "सत्यम शिवम सुंदरम" जिसे कृष्ण ने समझाया है और इस संसार में रास रचाया है.. आज उसी महारास का दिन है जिसमें प्रेम की शीतलता के साथ सुगंध और मिठास की अनुभूति भी व्याप्त होनी चाहिये... इस पल को खोने ना दें और प्रेम युक्त जीवन की मिठास को महसूस करें..।

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