महाभारत का युद्ध

by - 4:01 AM


इंद्रप्रस्थ एक बहुत ही खुबसूरत और सुखी संपन्न राज्य के रूप में पांडव तैयार कराएं फिर कुछ दिनों बाद राजसूय  यज्ञ में भाग लेने के लिए दुर्योधन भी इंद्रप्रस्थ पहुंचा था. यहां आकर वह इंद्रप्रस्थ महल का वैभव देखकर हैरान था.. वह महल को इधर-उधर देखता हुआ आगे बढ़ रहा था.. रास्ते में उसे एक ऐसा फर्श दिखा, जो अपने आप में एक पानी का ताल लगता था। जब उसने उसे छुआ तो महसूस हुआ कि यह तो पारदर्शी क्रिस्टल का है.. दूसरी ओर द्रौपदी और भीम एक झरोखे में खड़े होकर यह पूरी घटना देख रहे थे। दुर्योधन को लगा कि जो भी ताल जैसा दिखता है, वह दरअसल फर्श है, जिस पर चला जा सकता है.. उसके बाद उसने इस पर ध्यान देना छोड़ दिया। रास्ते में जब एक ताल आया तो दुर्योधन उसे भी फर्श समझकर जैसे ही आगे बढ़़ा, वह पानी में गिर पड़ा दुर्योधन की इस हालत पर द्रौपदी जोर से खिलखिलाकर हंस पड़ी.
और यही महाभारत के युद्ध का कारण बना…..(अगर कोई कुछ जानता और समझता नहीं तो उस पर हँसना नहीं चाहिए उसे बताना चाहिए.)
महाभारत का युद्ध ना हो इसके लिए भगवान कृष्ण बहुत प्रयास किए धृतराष्ट्र के पास शांति प्रस्ताव ले कर गए और अंत में सिर्फ 5 गाँव मांगे पर दुर्योधन ने सुई के नोंक के बराबर भूमि देने से भी इंकार कर दिया और भगवान कृष्णा को बंदी बनाने का भी प्रयास किया...धृतराष्ट्र सब सुन के भी ख़ामोश रहे....
सिर्फ गलत चीज न करना ही महत्वपूर्ण नहीं होता, बल्कि इसके साथ गलत घटते हुए को रोकना या कुछ गलत न होने देना भी उतना ही महत्चपूर्ण है... हो सकता है कि हम सब कुछ न रोक पाएं, लेकिन ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिन्हें हम रोक सकते हैं.. हर व्यक्ति को अपना धर्मयुद्ध अपने आस-पास और अपने भीतर जरूर लडऩा पड़ता है.. सबसे पहले आप अपने भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार से लडि़ए


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