मैं साहिल पर लिखी हुई इबारत नहीं, जो लहरों से मिट जाये
मैं साहिल पर लिखी हुई इबारत नहीं, जो लहरों से मिट जाये !
मैं बारिश की बरसती बूँद नहीं, जो बरस के थम जाये !!
मैं कोई ख्वाब नहीं, जिसे देख कर भुला दिया जाये !
मैं हवा का झोंका नहीं, आया और गुज़र गया !!
मैं चाँद नहीं, जो रात के बाद ढल गया !
मैं तो वो एहसास हूँ !
जो तुझ में लहु बन कर गर्दिश करे !!
मैं वो रंग हूँ !
जो तेरे दिल पर चढा रहे तो कभी ना उतरे !!
मैं वो गीत हूँ, जो तेरे लबों से कभी जुदा ना होगा !
मैं तो वो परवाना हूँ, जो जलता रहेगा पर उफ़ तक नहीं करेगा !!
ख्वाब, इबारत, हवा की तरह, चार बूँद शमा की तरह !
मेरे मिटने का सवाल ही नहीं !!
क्योंकि मैं......... हेमंत सरकार हु हेमंत सरकार हु हेमंत सरकार हु !!
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