मेरी जिन्दगी
आज काफी दिन के बाद कुछ लिखने बैठा हु .आज मेरी जिंदगी मुझे एक ऐसा मोर पर ला कर खरा कर दिया है?????????????????
मै कभी सोचा भी नही था की मेरी जिंदगी मुझे यहाँ ला कर खरा कर देगा ।
मै आज तक आपनी जिंदगी का हर बजी को जीता जो सोचा वह किया .कंप्यूटर के दुनिया में भी मै आपना ऐक अलग पहचान बनाया .हर कम को लगन,निष्ठा और ईमानदारी से किया .सोचा तो था की आपने ब्लोग्स के माध्यम से आप लोगो को कुछ कुछ कंप्यूटर और नेट के बारे में बताता रहूगा लेकिन वक्त ने मुझे वक्त का गुलाम बना दीया है।
मै आप लोगो से माफ़ी मागता हूँ जो मुझे बुलाने के बाद भी मै नही जा पता .कुछ वक्त लगेगा जब मै कुछ उलझन से नीकल कर फिर आप की सेवा में लग जायेगे ।
आप का सेवक
हेमंत सरकार "गुड्डू "
जब वक्त मीला फीर कुछ लिखेगे .....................
आपनी कुछ भावना आपके लिए......
मैं दो कदम चलता और एक पल को रुकता मगर.....
इस एक पल जिन्दगी मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।
मैं फिर दो कदम चलता और एक पल को रुकता और....
जिन्दगी फिर मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।
युँ ही जिन्दगी को जीतता देख मैं मुस्कुराता और....
जिन्दगी मेरी मुस्कुराहट पर हैंरान होती ।
ये सिलसिला यहीं चलता रहता.....
फिर एक दिन मुझे हंसता देख एक सितारे ने पुछा..........
" तुम हार कर भी मुस्कुराते हो ! क्या तुम्हें दुख नहीं होता हार का ? "
तब मैंनें कहा................
मुझे पता हैं एक ऐसी सरहद आयेगी जहाँ से आगे
जिन्दगी चार कदम तो क्या एक कदम भी आगे ना बढ पायेगी,
तब जिन्दगी मेरा इन्तज़ार करेगी और मैं......
तब भी युँ ही चलता रुकता अपनी रफ्तार से अपनी धुन मैं वहाँ पहुँगा.......
एक पल रुक कर, जिन्दगी को देख कर मुस्कुराउगा..........
बीते सफर को एक नज़र देख अपने कदम फिर बढाँउगा।
ठीक उसी पल मैं जिन्दगी से जीत जाउगा.........
मैं अपनी हार पर भी मुस्कुराता था और अपनी जीत पर भी......
मगर जिन्दगी अपनी जीत पर भी ना मुस्कुरा पाई थी और अपनी हार पर भी ना रो पायेगी
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