ऐ किताब काश तुम मेरी माशूक़ा होती

by - 11:09 AM
 ऐ किताबऐ किताब तुझसे नज़र मिलाने से मैं घबराता क्यों हूंतुझे छोड़ कर हर बातों को दिमाग में मैं दोहराता क्यों हूंएक तरफ़ बिस्तर की पुकारएक तरफ़ नींद की दुलारएक तरफ़ फ़िल्मों का प्यारएक तरफ़ लिखने की गुहारएक तरफ़ तेरे ख़्यालों की भरमारइन सब का गला दबोचकरबैठता हूं मैं पढ़ने थक हारफ़िर ये...

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